राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पांच राज्यों में नए राज्यपालों को नियुक्त किया

नई दिल्ली

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को पांच राज्यों में नए राज्यपालों को नियुक्त कर दिया है। बनवारी लाल पुरोहित को तमिलनाडु का राज्यपाल नियुक्त किया गया जबकि सत्यपाल मलिक बिहार के नए राज्यपाल होंगे। जगदीश मुखी असम के राज्यपाल के तौर पर पुरोहित का स्थान लेंगे। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा अरुणाचल प्रदेश और मेघालय के राज्यपाल तथा अंडमान और निकोबार द्वीप के उपराज्यपाल समेत पांच राज्यपालों की नियुक्ति की आज घोषणा की गई।

महाराष्ट्र के राज्यपाल सी विद्यासागर राव के पास तमिलनाडु के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार था और दक्षिणी राज्य में राजनीतिक स्थिति के मद्देनजर पूर्णकालिक राज्यपाल की नियुक्ति की मांग की गई थी।

राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, एडमिरल (सेवानिवत्त) देवेंद्र कुमार जोशी अंडमान और निकोबार द्वीप के उपराज्यपाल होंगे। वह मुखी का स्थान लेंगे। बिहार विधान परिषद के पूर्व सदस्य गंगा प्रसाद को मेघालय का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि ब्रिगेडियर (सेवानिवत्त) बी डी मिश्रा अरणाचल प्रदेश के राज्यपाल होंगे। मालूम हो कि बिहार के राज्यपाल रहे रामनाथ कोविंद के राष्‍ट्रपति कैंडिडेट बनने के बाद केशरी नाथ त्रिपाठी को अतिरिक्त प्रभार दिया गया था।

महानुभावों का परिचय

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को देश के पांच राज्यों में नये राज्यपाल और एक राज्य में उपराज्यपाल (LG) की नियुक्ति की. राष्ट्रपति ने सत्यपाल मलिक को बिहार, बनवारी लाल पुरोहित को तमिलनाडु, गंगा प्रसाद को मेघालय, जगदीश मुखी को असम, बीडी मिश्रा को अरुणाचल प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया है. वहीं, एडमिरल (सेवानिवृत्त) देवेंद्र कुमार जोशी को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का उपराज्यपाल बनाया गया है. गौरतलब है कि देश भर में आधा दर्जन राज्यों के राजभवन में विभिन्न कारणों से राज्यपाल की कुर्सी खाली थी. ऐसे में नये राज्यपाल की नियुक्ति अधिकतर उन राज्यों में हुई है, जहां केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा की लगभग स्थायी सरकारें हैं.

बहरहाल, आइए जान लेते हैं उन शख्सियतों को जिन्हें राष्ट्रपति ने राज्यपाल के लिए चुना है-

सत्यपाल मलिक

25 दिसंबर 1952 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में जन्मे सत्‍यपाल मलिक सन् 1998 में पहली बार अलीगढ़ से चुन कर संसद पहुंचे. 20 फरवरी 2004 को मलिक भाजपा में शामिल हुए. सत्यपाल मलिक जनता दल से 1989 से 1991 तक उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ से सांसद रहे. लॉ ग्रेजुएट सत्यपाल, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे हैं.

बनवारीलाल पुरोहित

सन् 1977 से राजनीति में सक्रिय रहे हैं. 1978 में उन्होंने महाराष्ट्र के नागपुर से पहला विधानसभा चुनाव जीता. 1982 में राज्य में मंत्री भी बने. वह 1984, 1989 और 1996 में लोकसभा के लिए चुने गये. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के मार्गदर्शक माने जानेवाले पुरोहित, संघ के नजदीकी रहे हैं. प्रमुख अंग्रेजी अखबार ‘द हितवाद’ के साथ-साथ कई शैक्षणिक और सामाजिक संस्थानों से भी उनका जुड़ाव रहा है.

गंगा प्रसाद

भारतीय जनता पार्टी की ओर से सन् 1994 में पहली बार बिहार विधान परिषद में विधायक चुने गये गंगा प्रसाद, 18 साल तक एमएलसी रहे. इससे पहले वह पांच साल तक प्रसाद विपक्ष के प्रतिनिधि की जिम्मेवारी भी निभा चुके हैं. राज्य में पहली बार जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनी, तो इस शासन काल में वह बिहार विधान परिषद में सत्तारूढ़ पार्टी के नेता रहे.

जगदीश मुखी

इनका जन्म एक दिसंबर, 1942 को पाकिस्तान के डेरा गाजी खान में हुआ. इन्होंने राजस्थान के राजश्री कॉलेज से स्नातक किया. 1967 में दिल्ली के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से एम कॉम किया. वह दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे हैं. उन्होंने कंपनी लॉ एंड सेक्रेटीरियल प्रैक्टिस नाम की किताब भी लिखी है. वह 1975 से सक्रिय राजनीति से जुड़े रहे हैं. वे मंत्री और दिल्ली विधानसभा में भाजपा की तरफ से नेता विपक्ष रह चुके हैं.

ब्रिगेडियर बीडी मिश्रा

20 जुलाई 1939 को जन्मे बीडी मिश्रा, 1961 से रेग्युलर इनफेंट्री ऑफिसर थे. इन्होंने 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध में अहम भूमिका निभायी थी. वह एनएसजी की काउंटर हाइजैक टास्क फोर्स के कंमाडर रहे हैं. इन्होंने 24 अप्रैल 1993 को अमृतसर में हाइजैक हुए इंडियन एयरलाइंस के विमान को रेस्क्यू करा, 124 पैसेंजर्स और क्रू की जान बचायी थी. इनके लीडरशिप में रेस्क्यू टीम ने सभी हाईजैकर्स को मार गिराया था. वह 31 जुलाई 1995 को भारतीय सेना से ब्रिगेडियर के रूप में रिटायर्ड हुए.

देवेंद्र कुमार जोशी

4 जुलाई, 1954 को जन्मे देवेंद्र कुमार जोशी की स्कूली शिक्षा नैनीताल और अल्मोड़ा में हुई. वह भारत के 21वें नौसेनाध्यक्ष रह चुके हैं. 31 अगस्त 2012 से 26 फरवरी 2014 तक वह नेवी स्टाफ के प्रमुख रहे. वह नौसेना के 19वें भारतीय कमांडर भी रह चुके हैं. डीके जोशी पनडुब्बी विरोधी जंग के विशेषज्ञ माने जाते हैं. उन्होंने लगभग 38 वर्षों तक भारतीय नौसेना के अलग-अलग पद पर सेवाएं दी. उन्हें नौसेना मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल और युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया जा चुका है.

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