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मूडीज़ ने भारत की क्रेडिट रेटिंग बढ़ा दी: मोदी सरकार के 5 सुधारों को दिया श्रेय

नई दिल्ली
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने जीएसटी ही नहीं, बल्कि मोदी सरकार के अन्य कई सुधारों को भी सराहा है. मूडीज रेटिंग में हुए सुधार के लिए एजेंसी ने आधार कार्ड, डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर समेत अन्य कई सुधारों को जिम्मेदार माना है. इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आगे भी कड़े फैसले लेने का मौका मिलेगा. भारत की रैंकिंग सुधारने के लिए मूडीज ने मोदी सरकार के 5 सुधारों को श्रेय दिया है.
मूडीज ने जीएसटी को देश में कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने वाला करार दिया है. मूडीज ने कहा कि जीएसटी की वजह से देश में अंतरर्राज्यीय स्तर पर कारोबार करना आसान हुआ है. इसकी वजह से राज्यों के बीच कारोबार करने में आने वाली कई दिक्कतों को दूर करने में मदद मिली है. मूडीज ने कहा कि यह उत्पादकता बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाएगा.
मूडीज ने लघु अवधि में भले ही नोटबंदी के असर को बेहतर नहीं बताया है, लेकिन उसने कहा है कि लंबी अवधि में इसका फायदा दिखेगा. मूडीज ने हालांकि अर्थव्यवस्था में अनौपचारिकता खत्म करने में नोटबंदी की भूमिका का जरूर वर्णन किया है. बता दें कि नोटबंदी को लेकर मोदी सरकार की सबसे ज्यादा आलोचना हो रही है. ऐसे में मूडीज की तरफ से सराहना सरकार को राहत देने का काम कर सकती है.
मूडीज ने मोदी सरकार की तरफ से बैंकों पर पड़े एनपीए अथवा बैड लोन के बोझ को कम करने के लिए सरकार की तरफ से उठाए गए कदम की सराहना की है. मूडीज ने कहा कि मौद्रिक नीति रूपरेखा में सरकार की तरफ से किए गए सुधार से बैंकों को फायदा मिलेगा और एनपीए से निपटने में मदद मिलेगी.
मूडीज ने आधार कार्ड को लेकर मोदी सरकार की तरफ से उठाए जा रहे कदमों की भी सराहना की है. पिछले कुछ समय से मोदी सरकार आधार कार्ड को सभी जरूरी सरकारी सेवाओं के लिए अनिवार्य करने में जुटी हुई है. मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में इसकी तारीफ की है और इसे अर्थव्यवस्था में अनौपचारिकता को कम करने वाला करार दिया है.
सीधे बैंक खातों में सब्सिडी का लाभ पहुंचाने के लिए सरकार ने डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) को बढ़ावा दिया है. मूडीज ने इसे भी एक सुधारात्मक कदम बताया है. उसने इसे भी अर्थव्यस्था में अनौपचारिकता को कम करने वाला बताया है. डीबीटी से सरकार की तरफ से मिलने वाली सब्सिडी सीधे आपके खाते में भेजी जाती है. इससे धांधली करने वालों पर लगाम कसने में मदद मिली है.
बेनामी संपति को लेकर मोदी सरकार आने वाले समय में कुछ कड़े फैसले ले सकती है. मूडीज ने कहा है कि ये फैसले भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं. मूडीज ने कहा है कि केंद्र सरकार आने वाले समय में जमीन और मजदूरों के लिए बड़े सुधार कर सकती है. हालांकि मूडीज ने साथ ही कहा है कि ये सुधार तब ही सफल और फायदेमंद होंगे, जब राज्य इनको लेकर एक-दूसरे के साथ सहयोग करने को तैयार हों.
भारत की रैंकिंग में सुधार के क्या मायने हैं?
अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने भारत की क्रेडिट रेटिंग बढ़ा दी है. मूडीज़ ने रेटिंग को बीएए3 से बढ़ाकर बीएए2 कर दिया है. इसके साथ ही मूडीज़ ने भारत की रेटिंग स्टेबल से पॉजिटिव कर दी है. मूडीज़ ने इस सुधार की वजह भारत सरकार द्वारा किए जा रहे आर्थिक और सांस्थानिक सुधारों को बताया है. मूडीज़ ने जीडीपी, नोटबंदी, नॉन परफॉर्मिंग लोन्स को लेकर उठाए गए कदम, आधार कार्ड, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांस्फर को इसकी मुख्य वजह बताया गया है. इस रेटिंग में 14 साल बाद बदलाव हुआ है. साल 2004 में यूपीए सरकार के दौरान रेटिंग को गिराकर बीएए3 कर दिया गया था.
मूडीज ने कहा है कि भारत सरकार ने जो सुधार किए हैं, उनका असर लंबे समय के बाद दिखेगा. फिलहाल जीएसटी और नोटबंदी लागू होने के कारण कुछ समय के लिए जीडीपी में गिरावट हुई है. साथ ही कहा है कि जीएसटी के कारण देश में अंतर्राज्यीय व्यापार में काफी फायदा मिलेगा. सरकार द्वार लिए जा रहे फैसलों से व्यापार और विदेश निवेशी की स्थिति भी बदलेगी. मूडीज ने भारत की जीडीपी में वृद्धि होने की बात भी कही है. मूडीज़ की रेटिंग आने के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मोदी सरकार की तारीफ करते हुए ट्वीट भी किया है.
उन्होंने लिखा है, ”मूडीज़ का अपग्रेड मोदी सरकार की कड़ी मेहनत और सुधार प्रक्रिया का परिणाम है.” लेकिन, मूडीज़ के भारत की रेटिंग सुधारने के क्या मायने हैं और इसके क्या फायदे होंगे इस बारे में बीबीसी से बात की आर्थिक विशेषज्ञ भरत झुनझुनवाला ने. भरत झुनझुनवाला ने कहा, ”इस रेटिंग को बढ़ने का मतलब है कि घरेलू और विदेशी कंपनियों का भारत में निवेश और काम करना आसान हो गया है.” ”मूडीज़ ने मुख्य तौर पर जीएसटी का हवाला दिया है. उसने कहा है कि इससे माल का आवागमन आसान हो जाएगा. साथ ही बैंक को पूंजी उपलब्ध कराने का हवाला दिया है.”
लेकिन, भरत झुनझुनवाला मूडीज़ के भारत की जीडीपी बढ़ने के दावे से सहमति नहीं जताते हैं. उन्होंने कहा, ”जब आप पूरे देश को एक बाजार बना देते हैं तो बड़ी कंपनियों के लिए माल को एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाना आसान हो जाता है. लेकिन, उसी अनुपात में छोटे उद्योगों का कारोबार सिकुड़ जाता है.” ”छोटे उद्यम के लिए कारोबार करना मुश्किल हो जाएगा. जमीनी अर्थव्यवस्था में मांग कम रहेगी. इससे ग्रोथ कम होगी और विदेशी कंपनियां भी कम आएंगी. अंत में रेटिंग बढ़ने से मिलने वाला फायदा नहीं मिलेगा.” उन्होंने कहा, ”छोटे उद्यम को जो समस्याएं आ रही हैं उनका सरकार के पास कोई हल नहीं है. इसलिए बड़े उद्योगों का लाभ छोटे उद्योगों की हानि से कट जाएगा. अंत में ग्रोथ रेट नहीं बढ़ेगी.”
झुनझुनवाला बताते हैं, ”यूपीए के समय पर रेटिंग में गिरावट थी लेकिन तब ग्रोथ रेट ज्यादा थी. लेकिन, अभी ग्रोथ रेट कम है लेकिन रेटिंग ज्यादा है. इससे साफ होता है रेटिंग और ग्रोथ रेट का कोई संबंध नहीं है.” रेटिंग के 14 साल बाद बढ़ने के कारणों पर झुनझुनवाला कहते हैं, ”यूपीए सरकार ने कोई ढांचागत सुधार नहीं किए थे. इसलिए अभी तक रेटिंग में सुधार नहीं हुआ था.”
भरत झुनझुनवाला का कहना है कि सरकार ने बड़ी कंपनियों की समस्याओं को कम किया है, इसके लिए श्रेय उसे देना चाहिए लेकिन असली सफलता तब होगी जब आपके घरेलू उद्योगों से आपकी पीठ थपथपाई जाएगी. विदेशों से मिलने वाली वाहवाही संदिग्ध ही रहती है.
भरत झुनझुनवाला बताते हैं कि हर विदेशी या घरेलू कंपनी के लिए ये आकलन करना कठिन होता है कि भारत या किसी अन्य देश की अर्थव्यवस्था मौलिक स्थिति कैसी है. ऐसे में वो क्रेडिट एजेंसी पर निर्भर करते हैं कि वह देश के हर आयाम को देखकर उसे रेटिंग दें. फिर इस रेटिंग के आधार पर कंपनियां अपनी निवेश योजनाएं बनाती हैं. हालांकि, ये सिर्फ एक फैक्टर होता है. इन आयामों में राजनीतिक स्थिरता, पॉलिसी फ्रेमवर्क, आयात निर्यात और वैश्विक प्रतिस्पर्धा शक्ति आदि को देखा जाता है.
रेटिंग आने का मतलब ये हुआ कि दुनिया भर के निवेशकों को एक संदेश जा रहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर है, सुदृढ़ है या सुदृढ़ होती जा रही है. बीएए2 क्या है मूडीज़ की ए, बी और जंक में श्रेणियां देता है. ए और बी पॉजिटिव रैंकिंग है. बीएए3 पॉजिटिव के सबसे निचले पायदान पर है. अब भारत की रेटिंग बीएए2 होने से भारत की स्थिति में थोड़ा और सुधार हुआ है.

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