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तीन करोड़ मोबाइल कनेक्शन में से अब तक 20 फीसदी ही ‘आधार’ से लिंक हो पाए

भोपाल
प्रदेश के तीन करोड़ मोबाइल कनेक्शन में से अब तक बमुश्किल 18-20 फीसदी ही ‘आधार’ से लिंक हो पाए हैं। उपभोक्ताओं ने इस मुहिम में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई,मजबूरी में व्यवस्था बदलने की तैयारी की गई है। अब घर बैठे एसएमएस अथवा ईमेल से भी मोबाइल कनेक्शन को ‘आधार’ से लिंक किया जाएगा। 6 अक्टूबर 2018 तक ‘आधार’ से लिंक नहीं होने वाले मोबाइल कनेक्शन ‘डिएक्टीवेट” कर दिए जाएंगे।
मोबाइल उपभोक्ताओं को अपना कनेक्शन आधार नंबर से लिंक करने के लिए संबंधित सर्विस प्रोवाइडर के सेंटर तक जाना पड़ता है। इसलिए लोग इसमें दिलचस्पी नहीं दिखा रहे, जुलाई से नवंबर तक प्रदेश में बमुश्किल 18-20 फीसदी अर्थात लगभग 60 लाख मोबाइल उपभोक्ताओं ने ही अपने मोबाइल ‘आधार’ से लिंक कराए हैं।
इस मुद्दे पर भारत संचार निगम लिमिटेड(बीएसएनएल) सहित निजी दूरसंचार कंपनियों ने भी ‘यूनिक आइडेंटीफिकेशन अथारिटी आफ इंडिया” (यूआईडीएआई) को अपनी व्यावहारिक परेशानी बता दी है। इसमें बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन की अनिवार्यता के कारण कई लोगों को परेशानी भी हो रही है। कुछ ऐसे बुजुर्गों के मामले भी सामने आए जिनकी अंगुल चिन्ह अथवा आंख की पुतली ‘आईरिश’ का प्रिंट भी मशीन ठीक से नहीं पकड़ पा रही।
बीएसएनएल की ओर से इस संबंध में ‘यूआईडीएआई’ को एसएमएस अथवा ईमेल के जरिए मोबाइल सिम को ‘आधार’ से जोड़ने सुझाव दिया गया है। बताया जाता है कि इस पर सहमति भी मिल गई है। 1 दिसंबर से नई व्यवस्था शुरू करने की तैयारी है। मजबूरी में बदली जा रही इस व्यवस्था के बाद मोबाइल यूजर्स को इसके लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
उपभोक्ता के पास जिस कंपनी का मोबाइल नंबर है उसकी वेबसाइट पर जाकर मोबाइल नंबर डालना पड़ेगा। इसके बाद आधार नंबर से लिंक मोबाइल नंबर पर ‘ओटीपी’ आएगा। यह नंबर उपभोक्ता के पास होना जरूरी है, इस नंबर को वेबसाइट के ओटीपी बाक्स में डालने पर सत्यापन होते ही नंबर ‘आधार’ से जुड़ जाएगा।
इतने बड़े काम को करने के लिए लोगों को व्यक्तिगत रूप से दूरसंचार कंपनी के आउटलेट तक बुलाना व्यावहारिक नहीं है। इसलिए हम प्रयासरत हैं कि एसएमएस अथवा ईमेल द्वारा सत्यापन कराया जाए। इसके लिए ‘यूआईडीएआई” ने सहमति दे दी है।

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