रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड 12 अरब डॉलर के कर्ज में से बड़े हिस्से को अगले तीन साल में चुकाने के लिए रीफाइनैंशिंग की तैयारी में है। इस मामले से जुड़े कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि कंपनी उधार चुकाने के लिए बॉन्ड के जरिए पैसे जुटाएगी। अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि मार्केट वैल्यू के हिसाब से भारत की सबसे बड़ी कंपनी अपना कर्ज अधिकांश तौर पर बॉन्ड्स और ब्याज के जरिए चुकाएगी।
2018 से 2020 के बीच रिलायंस की ओर से चुकाए जाने वाला उधार इसका किसी भी पिछले तीन साल के मुकाबले सबसे अधिक होगा। ब्लूमबर्ग के मुताबिक इसमें 8.14 अरब डॉलर टर्म लोन, 3.52 अरब बॉन्ड्स और 30 करोड़ डॉलर रीवोल्वर लोन शामिल है। आंकड़ों के मुताबिक इसे 1.65 अरब डॉलर ब्याज भी चुकाना है। रिलायंस का कर्ज पिछले 5 सालों में काफी तेजी से बढ़ा, क्योंकि समूह ने टेलिकॉम और पेट्रोकेमिकल्स बिजनस में भारी-भरकम निवेश किया है।
बॉन्ड मार्केट में उतरने का प्लान उस ट्रेंड के तहत है जिसमें पिछले एक दशक में पहली बार इंडियन कॉर्पोरेट्स लोन की बजाय बॉन्ड्स को प्राथमिकता दे रहे हैं। दुनिया की सबसे तेज अर्थव्यवस्थाओं में से एक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुधारवादी कदमों से ग्लोबल फंड भारत की ओर आकर्षित हुआ है।
लंदन में जय कैपिटल लिमिटेड के ट्रेडिंग हेड राज कोठारी ने कहा, ‘निवेशक भारतीय बॉन्ड जारीकर्ताओं को काफी तवज्जो देते हैं। रिलायंस भारत की सबसे बड़ी कंपनी है जिसकी वित्तीय हालत बहुत मजबूत है। कंपनी को कर्ज रीफाइनैंश करने में कोई दिक्कत नहीं होगी।’