नई दिल्ही
संसद में शुक्रवार को पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में किसानों की कर्ज माफी और बिजली व टेलिकॉम सेक्टर्स में मुनाफे में कमी के कारण अर्थव्यवस्था को खतरे को लेकर चेताया गया है. आर्थिक सर्वेक्षण पार्ट-2 में कहा गया है कि कर्ज माफी और जीएसटी लागू होने से पैदा हुई चुनौतियों के चलते 7.5 फीसदी की आर्थिक विकास दर प्राप्त करने में मुश्किल आएगी. बता दें कि सरकार ने फरवरी में आए सर्वेक्षण पार्ट-1 में आर्थिक विकास दर के 6.75 से 7.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. लेकिन, अब इस स्तर तक विकास दर पहुंचने पर संशय जताया गया है.
इस सर्वेक्षण में वित्तीय घटा जीडीपी के परिप्रेक्ष्य में 3.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है. खुदरा महंगाई दर मार्च 2018 तक चार फीसदी से कम रहने का अनुमान लगाया गा है. रिपोर्ट में बताया गया है कि नोटबंदी के बाद 5.4 लाख नए करदाता बने हैं. वहीं, राज्यों की किसान कर्ज माफी करीब 2.7 लाख करोड़ रुपए तक पहुंची है. यह सर्वेक्षण वित्त मंत्रालय के प्रमुख आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम द्वारा तैयार किया गया है. इसमें कहा गया है कि इस समय मॉनिटरी पॉलिसी को नरम करने और कर्ज सस्ता किया जा सकता है. साथ ही बताया गया है कि दिवालिया कानून जैसे सुधारों से अर्थव्यवस्था से लाभ होगा.