नोएडा
रियल एस्टेट फर्म जेपी इन्फ्राटेक के खिलाफ आईडीबीआई बैंक की ओर से दाखिल दिवालिया याचिका नैशलन कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद से हजारों फ्लैट बायर्स और निवेशक परेशान हैं। इस बीच नोएडा अथॉरिटी के सीईओ ने मदद का भरोसा देते हुए लोगों से कहा है कि घबराने की जरूरत नहीं है।
नोएडा सीईओ अमित मोहन प्रसाद ने कहा कि वह जल्द ही एक प्लान लाएंगे जिससे जेपी के 32,000 होम बायर्स के हितों की रक्षा हो सके। उन्होंने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, ‘हम निवेशकों के कठिन परिक्षम से कमाए गए धन को डूबने नहीं देंगे। यदि नियमों का उल्लंघन किया गया तो हम डिवेलपर के खिलाफ कठोर कार्रवाई करेंगे।’
जेपी ने इस साल अप्रैल में मेगा हाउजिंग प्रॉजेक्ट के सभी बायर्स को 2020 तक फ्लैट देने का वादा किया था। अभी तक केवल 6,500 लोगों को फ्लैट मिल पाया है। विश टाउन में 32,000 फ्लैट हैं।
शुक्रवार को कंपनी के नोएडा 128 सेक्टर स्थित कॉर्पोरेट ऑफिस के बाहर बड़ी संख्या में जेपी के निवेशक पहुंचे और अपनी आवाज बुलंद की। लोगों ने अधिकारियों से बात की और अपने प्रॉजेक्ट के बारे में सवाल किया। अधिकारियों ने उन्हें समय पर घर देने का भरोसा भी दिया।
हालांकि, निवेशकों ने शनिवार को जेपी ऑफिस से नोएडा पुलिस चीफ ऑफिस तक प्रोटेस्ट मार्च निकालने की घोषणा की। विश टाउन फ्लैट बायर प्रमोद कुमार ने कहा, ‘चिंता की बात यह है कि यदि कंपनी दिवालिया घोषित हो जाती है तो बिल्डर के खिलाफ हमारे सभी केस निष्प्रभावी हो जाएंगे। हम पुलिस से यह भी पूछेंगे कि उस एफआईआर का क्या हुआ जो हमने अप्रैल में बिल्डर के खिलाफ दायर किया था। क्या कोई जांच की गई?’
बायर यतिन गोयल ने आरोप लगाया कि जेपी ग्रुप ने सुनियोजित साजिश करके हजारों बायर्स को लूट लिया है। उसने अपनी एक सहायक कंपनी जेपी इन्फ्राटेक में बायर्स से बुकिंग लेकर अरबों रुपये कमाए। साथ ही उसी संपत्ति पर आईडीबीआई बैंक से भी लोन ले लिया। इसके बाद उस राशि को दूसरे प्रॉजेक्ट्स में ट्रांसफर कर दिया गया। बाद में आईडीबीआई बैंक अफसरों के साथ मिलीभगत करके एनसीएलटी में केस दाखिल करवाकर जेपी इन्फ्राटेक को दिवालिया घोषित करवाने की प्रक्रिया शुरू करवा दी।
बायर प्रमोद रावत का भी आरोप है कि इस साजिश में जेपी ग्रुप और आईडीबीआई दोनों की मिलीभगत है। उन्होंने कहा, ‘हम अगले 10 दिनों में एनसीएलटी में रकम वापसी के लिए क्लेम दायर करेंगे। यदि वहां पर हमारा वापसी का दावा नहीं माना जाता है तो हम सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने को मजबूर हो जाएंगे।