मुंबई
नोटबंदी और जीएसटी जैसे कठोर सुधारों को लागू करने के बाद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार क्या अब नरमी बरतेगी? एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार अब बड़े सुधारों की बजाय उपलब्धियों को लोगों के बीच पहुंचाने साथ टैक्स में कमी और अन्य उपायों से लोगों को लुभाने का प्रयास करेगी।
बार्कलेज इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री सिद्धार्थ सान्याल ने एक साप्ताहिक नोट में कहा, ‘हम उम्मीद कर रहे हैं कि 2019 के चुनाव में नए मैदान जीतने पर ध्यान देने के बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब तक किए गए सुधारों और इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स को मजबूती देने पर फोकस करेंगे। अब प्रशासनिक कदमों पर ध्यान दिया जाएगा, माइक्रोइकनॉमिक्स के मोर्चे पर नए विधिक सुधार नहीं किए जाएंगे।’
उन्होंने कहा, ‘2014 के बाद से उनके आक्रामक सुधारों के बावजूद, हमें विश्वास है कि मोदी 2019 के चुनावों से पहले अपनी लड़ाइयों को चुनने और अपनी राजनीतिक पूंजी लगाने के मामले में सिलेक्टिव होंगे। चुनाव से पहले मोदी अपनी ‘सुधारवादी छवि’ के बजाय बीजेपी की ‘राष्ट्रवादी’ विश्वसनीयता को बढ़ावा देने पर विचार कर सकते हैं।’
सान्याल के मुताबिक, ‘इसके अलावा मोदी भूमि और श्रम कानून से जुड़े सुधारों को पूरा करने का प्रयास कर सकते हैं, लेकिन अधिक दबाव नहीं डालेंगे। 2019 से पहले हम उम्मीद कर रहे हैं कि मोदी की नीतियां भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई, मौजूदा नीतिगत प्राथिमिकातों को पूरा करने और संवाद पर केंद्रित होंगी। वह सरकार की नीतियों का लाभ आम लोगों तक पहुंचाने पर फोकस कर सकते हैं।’ रिपोर्ट के मुताबिक भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ सफलता (मई 2014 के बाद से 4,313 करोड़ रुपये कालाधन सामने आया है) के बाद मोदी इस पर जोर दे सकते हैं।