सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम के प्रावधानों के संवैधानिक वैधता को चुनौती दिए जाने की सुनवाई करेगा, जिसके तहत स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट्स ऑफ इंडिया (सिमी) को लगातार सितंबर 2001 से प्रतिबंधित रखा गया है।
सिमी के पूर्व सदस्य हुमाम अहमद सिद्दीकी ने इन प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है और शीर्ष अदालत ने 7 मई, 2012 को केंद्र को उसकी याचिका पर नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम न सिर्फ आतंरिक रूप से दोषपूर्ण है, बल्कि जिस तरीके से वह केंद्र सरकार द्वारा संचालित हो रहा है, उससे संविधान की धारा 14,19 व 21 का उल्लंघन हो रहा है।
शीर्ष अदालत ने 2 मई, 2014 को सिमी के प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका को वृहद पीठ के पास भेज दिया था। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर व न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने 1967 के सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती दिए जाने की सुनवाई 13 अक्टूबर को करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता ने पहले दो साल के प्रतिबंध को बढ़ाकर पांच साल करने का विरोध किया है।