जापान के प्रधानमंत्री शिजो आबे के इस महीने के अंत में सालाना द्विपक्षीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए होनेवाले भारत दौरे से पहले विदेश सचिव एस. जयशंकर ने कहा है कि भविष्य के भारत-जापान संबंधों की कुंजी परमाणु और रक्षा सहयोग है। जयशंकर ने यहां भारत-जापान संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा, “असैन्य परमाणु ऊर्जा और रक्षा सहयोग दो क्षेत्र हैं, जो भविष्य के हमारे संबंधों की दिशा तय करते हैं।”
उन्होंने कहा, “जापान हमारे परमाणु उद्योग की काफी मदद कर सकता है।” उन्होंने कहा, “सैन्य प्रौद्योगिकी के साथ भारत को आपूर्ति करने के लिए जापान का खुलापन दोनों देशों के बीच एक-दूसरे के आत्मविश्वास को दर्शाता है, जिसे दोनों देशों ने साथ मिलकर विकसित किया है।”
पिछले साल नवंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने द्विपक्षीय सम्मेलन के लिए जापान का दौरा किया था। उस दौरान दोनों पक्षों ने अन्य समझौतों के अलावा परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को लेकर भी समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। जयशंकर ने कहा, “जापान और भारत के बीच विचारों के बढ़ते सम्मिलन में एशिया की अर्थव्यवस्था और विकास तथा वैश्विक विकास को प्रोत्साहित करने की क्षमता है।”
उन्होंने कहा, “इस संबंध में, दोनों देशों ने भारत-प्रशांत महासागरों के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी, बुनियादी ढांचे और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने के लिए निकट सहयोग करने पर सहमति जताई है।”