भारत सरकार अगले वर्ष से देशभर में एक अभियान चलाएगी, जिसके तहत स्कूलों से बाहर रहने वाले ’70-80 लाख’ विद्यार्थियों का पंजीकरण किया जाएगा। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। जावड़ेकर ने यहां अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा, “लगभग 70-80 लाख बच्चे हैं, जो स्कूल नहीं जा रहे हैं। हमने इस समस्या से निपटने के लिए एक योजना के बारे में सोचा है.. यह ‘स्कूल चलो अभियान’ के नाम से जानी जाएगी।”
मंत्री ने कहा, “यह न केवल पढ़ने और लिखने का, बल्कि डिजिटली साक्षर होने का भी समय है। भारत के लोग इस दिशा में पहले ही आगे बढ़ चुके हैं। अकेले ग्रामीण भारत में 70 करोड़ मोबाइल फोन हैं।” उन्होंने कहा, “जब हम इन सभी चुनौतियों से पार पा लेंगे, तब हम 2022 तक डिजिटल और अन्य माध्यमों के द्वारा प्रधानमंत्री के 100 प्रतिशत साक्षरता के सपने को पूरा कर सकेंगे।”
मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री, सत्यपाल सिंह ने भी संगोष्ठी को संबोधित किया। उन्होंने लोगों को भारत के इतिहास को थोड़ा पढ़ने सलाह दी। उन्होंने कहा कि भारत ने 19वीं सदी के दौरान शिक्षा के क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व किया था। उन्होंने कहा, “समस्या यह है कि हम पढ़ते नहीं है..थॉमस मुनरो (एक ब्रिटिश प्रशासक) ने 1810 में एक बात लिखी थी। उन्होंने उसमें जिक्र किया था कि भारत में 100 प्रतिशत साक्षरता है।”
सिंह ने आगे कहा, “हमें अभी बहुत कुछ करना है। मैं एक नया मंत्री हूं, लेकिन हम पूर्ण साक्षरता लाने के लिए योजनाओं पर काम करेंगे।” उन्होंने कहा, “कई राज्यों ने इसे पहले ही शुरू कर दिया है। अगले साल से हम इसे पूरे देश में और अधिक योजना के साथ शुरू करेंगे।” जावड़ेकर ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में 1947 के बाद से देश ने बहुत प्रगति की है। हमने ’81 प्रतिशत साक्षरता दर को प्राप्त किया है’, जोकि आजादी के समय केवल 18 प्रतिशत थी। उन्होंने डिजिटल साक्षरता पर बल देते हुए कहा कि सिर्फ साक्षरता पर बल देना प्रयाप्त नहीं है।