डॉ. वेदप्रताप वैदिक
पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने अमेरिका में जो ईमानदाराना बयान दिया है, उसने मियां की जूतियां, मियां के सिर टिका दी है। किसी पाकिस्तानी नेता ने शायद ही अमेरिका के ऐसे कान काटे हों। आसिफ मियां की साफगोई के लिए मैं उन्हें बधाई देता हूं। उन्होंने न्यूयार्क की एशिया सोसायटी में अमेरिकियों को साफ-साफ कह दिया कि आप पाकिस्तान को आतंकी राष्ट्र तो कहते हो लेकिन आप ही तो 30-40 साल पहले आतंकियों को अपना परमप्रिय (डार्लिंग) कहते थे। आप ही उन्हें व्हाइट हाउस में बुलाकर उनकी आवभगत किया करते थे। रुसियों के खिलाफ आपने ही इन आस्तीन के सांपों को पाल रखा था। पाकिस्तान ने रुस के खिलाफ आपका साथ देकर बड़ी गलती की। आपने हमें इस्तेमाल किया और बाद में फेंक दिया। अमेरिका और पाकिस्तान दोनों ने मिलकर एक गलत निर्णय लिया और डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तान को दोषी ठहरा रहे हैं। उनका यह कहना भी गलत है कि अमेरिका ने पाकिस्तान के लिए अरबों डाॅलर बहा दिए। यह बिल्कुल झूठ है। अमेरिका को जो भी सेवाएं उन दिनों पाकिस्तान ने दी, केवल उसका भुगतान अमेरिका ने किया। पाकिस्तान हाफिज सईद और हक्कानी जैसे लोगों से छुटकारा पाना चाहता है लेकिन उसके पास अब पर्याप्त साधन नहीं हैं। अब अमेरिका ने जो रवैया अपनाया है, उसके कारण पाकिस्तान का बोझ बढ़ता जा रहा है। अमेरिका के सोवियत-विरोधी युद्ध में शामिल होने का जो पाप हो गया था, उसी का नतीजा है कि पाकिस्तान में सांप्रदायिकता का राक्षस उसकी एकता को भंग कर रहा है। अब वहां लोग सुन्नी, शिया, ईसाई, हिंदू आदि फिरकों में बंटकर सोचने लगे हैं। यह जिहाद की वजह से हुआ है। इसकी जड़ में अमेरिका ही था। अब अमेरिका किस मुंह से पाकिस्तान को कोस रहा है। आसिफ की यह घोर स्पष्टवादिता अमेरिकियों की स्वार्थी नीति का भांडाफोड़ कर देती है और डोनाल्ड ट्रंप की जूतियां ट्रंप के सिर पर ही रख देती हैं।