लखनऊ
यूपी में डीजीपी सुलख़ान सिंह रिटायर हो रहे हैं। इससे पहले सुलख़ान सिंह ने पुलिस लाइन में अपनी विदाई परेड का निरीक्षण किया। शुक्रवार में आयोजित अपने विदाई समारोह में डीजीपी सुलखान सिंह ने कहा कि यूपी पुलिस उत्कृष्ट पुलिस फोर्स है। इस उत्कृष्ट परेड के लिए सभी पुलिस के अधिकारियों को बधाई। उन्होंने कहा कि यूपी पुलिस ने हर चुनौती का सामना किया। सन् 1990-93 आतंकवाद का समय रहा। उस समय यूपी पुलिस ने आतंकवाद का भी डटकर मुकाबला किया मुझे ऐसी फोर्स का मुखिया बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। कोई भी अधिकारी तभी कामयाब हो सकता जब अधीनस्थ अधिकारी उसका साथ दें।
33 साल की सेवा में आप सबका बहुत सहयोग मिला। अपने विभाग में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों का धन्यवाद देना चाहता हूं। उन्होंने वर्दी से लेकर हमारी इमेज बनाने में बड़ा सहयोग दिया। सुलखान सिंह के सेवा विस्तार के लिए उप्र सरकार दो दिन पहले केंद्र सरकार को सिफारिश भेज चुकी है। यह पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच गया है। गुरुवार की शाम तक इस पर निर्णय नहीं हुआ। उधर दोपहर में ही डीजीपी की विदाई परेड की चिट्ठी उन्हीं के दफ्तर से जारी हो गई। परेड की चिट्ठी वायरल होते ही सुलखान सिंह फिर चर्चा के केन्द्र में आ गए हैं। अफसर असमंजस में हैं। दरअसल, डीपीपी मुख्यालय के एएसपी स्तर के जनसंपर्क अधिकारी की ओर से उनकी रिटायरमेंट परेड का निमंत्रण पत्र जारी कर दिया। इसमें कहा गया है कि डीजीपी 30 सितंबर को रिटायर हो रहे हैं। उनकी विदाई परेड 29 सितंबर को लखनऊ पुलिस लाइन में सुबह 8 बजे होगी। जबकि प्रदेश सरकार सेवाविस्तार का इंतजार कर रही है।
विदाई की चिट्ठी भी जारी: सुलखान सिंह के डीजी बनने के दो माह बाद ही यूपी पुलिस ने जिस तरह अपराधियों के मन में दहशत पैदा कर दी, उसके मद्देनजर इस फैसले पर सभी की निगाहें लगी हैं। ऐसे में वायरल हुए रिटायरमेंट परेड के आमंत्रण पत्र ने अफसरशाही से सियासत तक सभी की बहस में जगह बना ली है। प्रदेश सरकार ने सुलखान सिंह को छह महीने का सेवाविस्तार देने के लिए मंगलवार को प्रस्ताव भेज दिया था। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डीजीपी की कार्यशैली को पसंद करते हुए यह प्रस्ताव तैयार कराया। सूत्रों का दावा है कि केंद्रीय डिपार्टमेंट आफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग ने इस प्रस्ताव को प्रधानमंत्री कार्यालय को भेज दिया है लेकिन गुरुवार शाम तक सेवाविस्तार पर मुहर नहीं लग सकी। हालांकि ऐसा पहले भी हो चुका है। दो साल पहले डीजीपी रहे एके जैन की तो विदाई परेड तक हो चुकी थी। उसके बाद उनकी सेवा विस्तार की मंजूरी दिल्ली से आ सकी थी। माना जा रहा है कि इस बार भी मंजूरी देर से ही सही, जरूर मिल जाएगी।