बीजिंग
चीन ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अरूणाचल प्रदेश यात्रा का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि भारत को ऐसे समय में सीमा विवाद को ‘‘जटिल बनाने’’ से बचना चाहिए जब द्विपक्षीय संबंध ‘‘निर्णायक क्षण’’ में है। राष्ट्रपति कोविंद ने कल अरूणाचल प्रदेश की यात्रा की थी जिसे लेकर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ल्यू कांग ने मीडिया से कहा कि चीनी सरकार ने कभी भी तथाकथित अरूणाचल प्रदेश को स्वीकार नहीं किया और सीमा मुद्दे पर हमारी स्थिति दृढ और स्पष्ट है। चीन नियमित रूप से किसी भी भारतीय अधिकारी की अरूणाचल प्रदेश यात्रा का विरोध करता आया है।
भारत ने चीन की आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि अरूणाचल प्रदेश देश का एक अभिन्न अंग है और भारतीय नेता राज्य की यात्रा करने के लिए उतने ही स्वतंत्र है जितने कि देश के अन्य किसी हिस्से की। ल्यू ने कहा कि दोनों देश एक निष्पक्ष और उचित समाधान पर पहुंचने के लिए बातचीत के जरिये इस मुद्दे का समाधान करने की प्रक्रिया में है। उन्होंने कहा कि चीन ऐसे समय में दृढता के साथ भारतीय नेताओं की संबंधित क्षेत्र में गतिविधियों का विरोध जताता है जब चीन-भारत संबंध एक निर्णायक क्षण में है। ल्यू ने कहा कि हमें उम्मीद है कि भारत इसी दिशा में काम करेगा और द्विपक्षीय संबंधों की सामान्य तस्वीर को बनाये रखेगा तथा सीमा मुद्दे को जटिल बनाने से बचेगा ताकि सीमा मुद्दे पर बातचीत के लिए अनुकूल स्थिति बनायी जा सके।
भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) 3,488 किलोमीटर तक है। चीन ने गत छह नवंबर को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के अरूणाचल प्रदेश के सीमाई इलाकों का दौरा करने पर भी विरोध जताया था। सीमा विवाद के समाधान के लिए दोनों पक्षों के विशेष प्रतिनिधियों द्वारा बातचीत के 19 दौर हो चुके है। उम्मीद है कि बातचीत का 20वां दौरा अगले महीने नई दिल्ली में होगा। हालांकि तिथि की घोषणा अभी नहीं की गयी है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनके चीनी समकक्ष यांग जेची सीमा वार्ता के लिए नामित विशेष प्रतिनिधि है।