तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने सोमवार को कहा कि भारत और चीन के पास शांति से रहने और एक-दूसरे की मदद करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता ने डोकलाम में दो माह तक चीन और भारत की सेनाओं के आमने-सामने आ जाने के बाद विवाद उत्पन्न होने पर कहा कि वह कोई महत्वपूर्ण मुद्दा नहीं है।
दलाई लामा ने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मुलाकात के बाद कहा, “दोनों देशों में सीमाओं के पार 200 करोड़ से ज्यादा लोग हैं। इसलिए उन्हें एक-दूसरे की जरूरत है। भारत को चीन की जरूरत है और चीन को भारत की जरूरत है। शांतिपूर्ण तरीके से रहने और एक-दूसरे की मदद करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।”
पटनायक ने ट्वीट किया, “अपने आवास पर दलाई लामा की अगवानी कर गौरवान्वित। समकालिक महत्ता के कई मुद्दों पर चर्चा हुई और राज्य के विकास व लोगों के कल्याण के लिए काम करने के लिए उनका आशीर्वाद और मार्गदर्शन लिया।” वह गजपति जिले के चंद्रगिरी का दौरा करेंगे, जहां तिब्बतियों की काफी आबादी रहती है। दलाई लामा को मंगलवार को वर्ष 2017 का कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस हुमेनिटेरियन पुरस्कार भी दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच छोटी समस्या होती रहती है, यह गंभीर नहीं है।
धर्मगुरु ने कहा, “युद्ध समाधान नहीं है। समस्या को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाएं, क्योंकि कोई भी देश युद्ध नहीं जीतता।” उन्होंने कहा कि आधुनिक भारत को भावनाओं पर काबू रखने के लिए प्राचीन ज्ञान को सीखना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने समकालीन महत्व के कई मुद्दों पर चर्चा की।