कांग्रेस कार्यसमिति ने सोमवार को एक ऐसे रोडमैप को मंजूरी दी जिसका लक्ष्य पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी को निर्विरोध पार्टी का अध्यक्ष बनाना लग रहा है। पिछले 19 सालों से पार्टी की कमान उनकी मां सोनिया गांधी के हाथों में है। केंद्रीय निर्वाचन प्राधिकरण के अध्यक्ष मुलापल्ली रामचंद्रन ने कहा कि इस बात का पता 11 दिसंबर को चल पाएगा कि पार्टी के शीर्ष पद के लिए चुनाव होगा या नहीं।
नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख चार दिसंबर है और इसकी समीक्षा पांच दिसंबर को होगी। इस कार्यक्रम को कार्यसमिति ने मंजूरी दी है। नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख 11 दिसंबर है और चुनाव (जरूरी होने पर ही) की तारीख 16 दिसंबर है। मतों की गिनती 19 दिसंबर को होगी। यह पूछे जाने पर क्या सोनिया गांधी ने पार्टी नेताओं से चुनाव प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने की अपील की है क्योंकि इससे पहले के मौकों पर ऐसा देखा गया है कि जिसने भी चुनाव में भाग लेने की कोशिश की, उसका करियर खत्म हो गया।
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस के पास इस चुनाव को लड़ने वालों का इतिहास रहा है। कांग्रेस इकलौती पार्टी है जो देश में भी और पार्टी में भी लोकतंत्र की रक्षा करती रही है। पार्टी सूत्रों ने इस बारे में कहा कि दो वरिष्ठ नेताओं जितेंद्र प्रसाद और राजेश पाइलट ने सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। इन दोनों को हमेशा पार्टी में पूरा सम्मान मिला। इनके बेटे (जितिन प्रसाद व सचिन पाइलट) कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे और आज प्रमुख नेताओं में हैं।
राहुल (47) को 2014 में आम चुनाव में कांग्रेस के हारने के तीन साल बाद पार्टी अध्यक्ष बनाने की तैयारी चल रही है। अपने बेटे को पार्टी की कमान सौंपने को तैयार सोनिया गांधी पिछले कुछ सालों से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही हैं और पार्टी के मामलों और वर्तमान में हो रहे विधानसभा चुनावों के प्रचार में सक्रिय रूप से हिस्सा नहीं ले रही हैं। सोनिया 1998 में पार्टी की अध्यक्ष बनी थीं।