नई दिल्ली
ए.टी.एम. से पैसा निकालने या बैंक में पैसा डिपॉजिट कराने और चैकबुक के लिए भी चार्ज देना पड़ेगा। बैंकों ने मोदी सरकार को धमकी दी है कि अगर सरकार ने 40,000 करोड़ रुपए का टैक्स नोटिस वापस नहीं लिया तो वे कस्टमर्स की फ्री सॢवस को बंद कर देंगे। यानी आपको बैंक से किसी भी तरह की सेवा के लिए चार्ज देना होगा। अगर बैंकों ने अपनी धमकी पर अमल किया तो इससे आम आदमी के लिए बैंकिंग सेवाएं बहुत महंगी हो जाएंगी। उल्लेखनीय है कि अप्रैल में डायरैक्टोरेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सॢवस टैक्स डी.जी. जी.एस.टी. ने बैंकों को फ्री सॢवसेज पर 40,000 करोड़ रुपए का सॢवस टैक्स चुकाने का नोटिस दिया था। इस मसले पर वित्त मंत्रालय और बैंकों के बीच बातचीत हो चुकी है लेकिन अब तक इस मसले का समाधान नहीं हुआ है। वहीं बैंकों का कहना है कि अगर उनको फ्री सेवाओं पर सॢवस टैक्स देना पड़ा तो वे कस्टमर्स को कोई भी फ्री सॢवस नहीं देंगे। एक रिपोर्ट के मुताबिक अब यह मामला प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच गया है। प्रधानमंत्री कार्यालय बैंकों और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ मिल कर इस मसले का समाधान करने का प्रयास करेगा।
बैंक अधिकारियों को उम्मीद है कि सरकार और बैंक मिल कर कोई रास्ता निकालेंगे जिससे आम कस्टमर को बैंकिंग सेवाओं के लिए पैसा न देना पड़े। इस साल जून में सरकार ने साफ किया था कि ऐसे अकाऊंट जिनमें मिनिमम अकाऊंट बैलेंस मैंटेन किया जा रहा है उन पर अगर बैंक फ्री सॢवस देता है तो ऐसी सेवाओं पर जी.एस.टी. नहीं लगेगा। हालांकि सरकार ने सर्विस टैक्स के बारे में कुछ नहीं कहा था। मिनिमम अकाऊंट बैलेंस चार्ज को लेकर बैंकों की पहले से हो रही है आलोचना बैंक अकाऊंट होल्डर्स से मिनिमम अकाऊंट बैलेंस मैंटेन न करने पर चार्ज पहले से वसूल रहे हैं। इस मामले को लेकर पहले से ही बैंकों की आलोचना हो रही है। अगर बैंक फ्री सेवाएं देना बंद कर देते हैं तो इससे आम कस्टमर के लिए बैंकिंग सेवाएं बेहद महंगी हो जाएंगी।
सरकार मार्च के अंत तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 42,000 करोड़ रुपए की पूंजी डालेगी। इसकी अगली किस्त अगले महीने यानी दिसम्बर में जारी हो सकती है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। सरकार ने इससे पहले इसी महीने 5 सरकारी बैंकों (पंजाब नैशनल बैंक, इलाहाबाद बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक) में 11,336 करोड़ रुपए की पूंजी डाली थी। इन बैंकों की वित्तीय सेहत सुधारने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। अधिकारी ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक और पी.एन.बी. जैसे बड़े बैंकों को संभवत: चालू वित्त वर्ष में और पूंजी निवेश की जरूरत नहीं होगी। पी.एन.बी. को पहले ही 2 बार नियामकीय पूंजी मिल चुकी है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को अब पूंजी पर्याप्तता अनुपात के लिए कम पूंजी की जरूरत है, क्योंकि रिजर्व बैंक ने पिछले सप्ताह उनके लिए वैश्विक नियमों या बासेल तीन के अनुपालन की समय-सीमा एक साल बढ़ाकर मार्च 2020 तक कर दी है। पिछले साल अक्तूबर में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 2.11 लाख करोड़ रुपए के पूंजी निवेश कार्यक्रम की घोषणा की थी।