बस्ती । देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद को उनकी 134 वीं जयंती पर याद किया गया। सोमवार को कायस्थ वाहिनी मण्डल अध्यक्ष अजय कुमार श्रीवास्तव के संयोजन में प्रेस क्लब में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये वाहिनी प्रमुख पंकज भैय्या ने कहा कि राजेन्द्र प्रसाद का जीवन, सादगी, सेवा, त्याग और देशभक्ति को समर्पित रहा। स्वतंत्रता आंदोलन में अपने आपको पूरी तरह से होम कर देने वाले राजेन्द्र बाबू अत्यंत सरल और गंभीर प्रकृति के व्यक्ति थे। वे सभी वर्ग के लोगो से सामान्य व्यवहार रखते थे। अजय श्रीवास्तव ने बस्ती मण्डल मुख्यालय पर डा. राजेन्द्र प्रसाद के प्रतिमा स्थापना की मांग किया।
अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ मतवाला ने कहा कि बिहार मंे अंग्रेज सरकार के नील के खेत थे, सरकार अपने मजदूर को उचित वेतन नहीं देती थी। 1917 मंे गांधीजी ने बिहार आकर इस समस्या को दूर करने की पहल की। उसी दौरान डॉ प्रसाद गांधीजी से मिले और उनकी विचारधारा प्रभावित हुए। 1919 मे पूरे भारत मे सविनय आन्दोलन की लहर थी। गांधीजी ने सभी स्कूल, सरकारी कार्यालयों का बहिष्कार करने की अपील की। जिसके बाद डॉ प्रसाद ने अंपनी नौकरी छोड़ दी और समाजसेवा के क्षेत्र में अंतिम संास तक समर्पित रहे। उनका जीवन यही प्रेरणा देता है कि हम सादगी के साथ अपने लक्ष्यों की ओर बढ़े।
संचालन करते हुये वरिष्ठ कवि डा. रामकृष्ण लाल जगमग ने राजेन्द्र बाबू के योगदान पर विस्तार से प्रकाश डालते हुये कहा कि भले ही 15 अगस्त, 1947 को भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई लेकिन संविधान सभा का गठन उससे कुछ समय पहले ही कर लिया गया था जिसके अध्यक्ष डॉ प्रसाद चुने गए थे। संविधान पर हस्ताक्षर करके डॉ प्रसाद ने ही इसे मान्यता दी।
समाजसेवी राजेश मिश्र ने कहा कि 26 जनवरी 1950 को डॉ राजेंद्र प्रसाद ने कार्यभार संभाला और 1962 तक वे इस सर्वोच्च पद पर विराजमान रहे। 1962 मे ही अपने पद को त्याग कर वे पटना चले गए ओर जन सेवा कर जीवन व्यतीत करने लगे। 1962 में अपने राजनैतिक और सामाजिक योगदान के लिए उन्हें भारत के सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया।
वाहिनी प्रदेश उपाध्यक्ष सिद्धार्थ श्रीवास्तव ने कहा कि राष्ट्रपति बनने से पहले वे एक मेधावी छात्र, जाने-माने वकील, आंदोलनकारी, संपादक, राष्ट्रीय नेता, तीन बार अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, भारत के खाद्य एवं कृषि मंत्री, और संविधान सभा के अध्यक्ष रह चुके थे। उनके जीवन से प्रेरणा लेने की जरूरत है।
जयन्ती पर आयोजित कार्यक्रम में डा. सौरभ सिन्हा, डब्बू श्रीवास्तव, मुकेश श्रीवास्तव, शरद सिंह रावत, मुकेश श्रीवास्तव, राज श्रीवास्तव, ओम प्रकाश मिश्र, समयदेव पाण्डेय, बी.के. श्रीवास्तव, महेन्द्र तिवारी, अमित श्रीवास्तव, पवन कुमार, प्रवीण श्रीवास्तव, संतराम श्रीवास्तव, राजेश कुमार, दीपक कुमार, आनन्द श्रीवास्तव, उमेश तिवारी, अनमोल श्रीवास्तव, अखिलेन्द्र श्रीवास्तव, अंशुमान श्रीवास्तव, प्रशान्त श्रीवास्तव, अनूप मिश्र, साइमन फारूकी के साथ ही वाहिनी के अनेक पदाधिकारी एवं समाज के विभिन्न वर्गो के लोग उपस्थित रहे।