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‘मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार’ योजना में 25000 रुपये मिलेगा

लखनऊ। प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त लगभग 19275 अशासकीय माध्यमिक विद्यालय (वित्तविहीन) संचालित हंै, जिनके द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में लगभग 75 प्रतिशत योगदान किया जाता है। प्रदेश के ग्रामीण तथा दूर दराज क्षेत्रों तक माध्यमिक शिक्षा को पहुंचाने में वित्त विहीन विद्यालयों के शिक्षकगण का महत्वपूर्ण योगदान है। इन विद्यालयों के शिक्षकगण को अंशकालिक अध्यापक कहा जाता है। प्रदेश सरकार ने वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों के विशिष्ट योगदान को देखते हुए ऐसे अंशकालिक शिक्षक, जिनका शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट एवं समाज में विशेष योगदान रहा हो, को ‘मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार’ से सम्मानित किये जाने का निर्णय लिया है। यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष 25 दिसम्बर अथवा मुख्यमंत्री जी द्वारा निर्धारित तिथि को दिया जायेगा। वित्तविहीन विद्यालयों की संख्या अत्यधिक होने के दृष्टिगत इन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकगण की संख्या भी अत्यधिक है। इस आधार पर प्रति मण्डल (कुल मण्डल 18) एक शिक्षक अर्थात 18 शिक्षकों को इस पुरस्कार में सम्मिलित किया जायेगा। वित्तविहीन शिक्षकगण को मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार के लिए चयनित किए जाने हेतु मण्डल स्तर तथा राज्य स्तर पर समिति गठित की जाएगी, जिसमें मण्डल स्तर पर, मण्डलायुक्त, अध्यक्ष, मण्डलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक सदस्य सचिव तथा संबंधित मण्डलीय जनपद के जिला विद्यालय निरीक्षक सदस्य होंगे। वित्तविहीन विद्यालय के शिक्षकगण जिला विद्यालय निरीक्षक को आवेदन प्रस्तुत करेंगे। जिसे सदस्य सचिव संस्तुति सहित प्रतिहस्ताक्षरित कर मण्डलीय समिति में प्रस्तुत करेंगे। मण्डलीय समिति 03 शिक्षकों के संबंध में अपनी संस्तुति राज्य स्तरीय समिति के विचारार्थ माध्यमिक शिक्षा निदेशक को प्रेषित करेगी।राज्य स्तर पर गठित समिति में प्रमुख सचिवध्सचिव, माध्यमिक शिक्षा अध्यक्ष, विशेष सचिवध्संयुक्त सचिव माध्यमिक शिक्षा, सदस्य तथा माध्यमिक शिक्षा निदेशक सदस्य सचिव होंगे। सदस्य सचिव मण्डलीय समिति की संस्तुतियों के आधार पर राज्य स्तरीय समिति के समक्ष संबंधित शिक्षकगण के पूर्ण अभिलेखध्विवरण प्रस्तुत करेंगे। इसके आधार पर राज्य चयन समिति द्वारा मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार हेतु अन्तिम रूप से संस्तुति प्रदान की जायेगी।मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार हेतु चयनित प्रति शिक्षक को सम्मान स्वरूप 25,000 रुपये की धनराशि प्रदान की जायेगी। वित्तविहीन शिक्षकगण के लिए 15 वर्ष के नियमित शिक्षण का अनुभव तथा प्रधानाध्यापकोंध्प्रधानाचार्यों के लिए 20 वर्ष के नियमित शिक्षण का अनुभव आवश्यक होगा। शिक्षकों का मूल्यांकन एक मूल्यांकन सारणी के आधार पर किया जायेगा, जिसमें चयन के लिए 100 अंक निर्धारित किए गये हैं। इसमें वस्तुपरक मापदण्ड के लिए 20 अंक तथा प्रदर्शन आधारित मापदण्ड के लिए 80 अंक रखा गया है।

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