नई दिल्ली। मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति को लागू करने के साथ ही केंद्रीय मानव संशाधन मंत्रालय का नाम फिर से शिक्षा मंत्रालय कर दिया है। शुरुआत में इस मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय ही था लेकिन 1985 में इसे बदलकर मानव संसाधन मंत्रालय नाम दिया गया था। नई शिक्षा नीति के मसौदे में इसे फिर से शिक्षा मंत्रालय नाम देने का सुझाव दिया गया था।
जावड़ेकर ने नई शिक्षा नीति को ऐतिहासिक बताया। वहीं, रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि नई शिक्षा नीति के बाद भारत ज्ञान की महाशक्ति बनकर उभरेगा। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति को व्यापक विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया। उन्होंने बताया कि विशेषज्ञों से लेकर जन प्रतिनिधियों तक से गहन चर्चा, परामर्श के बाद इसे तैयार किया गया। उन्होंने कहा कि सवा 2 लाख सुझाव आए थे। उच्च शिक्षा और स्कूली शिक्षा के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गई थी।
केंद्रीय कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है। अब ह्यूमन रिसोर्स मिनिस्ट्री यानी मानव संसाधन मंत्रालय को शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा। बुधवार को पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। कैबिनेट बैठक के बाद मानव संशाधन मंत्रालय रमेश पोखरियाल निशंक और सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने नई शिक्षा नीति के बारे में विस्तार से बताया।
नई शिक्षा नीति के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पूर्व चीफ के. कस्तूरीरंगन की अगुआई में एक पैनल का गठन किया गया था। इस पैनल ने पिछले साल एचआरडी मिनिस्ट्री में नई शिक्षा नीति के मसौदे को पेश किया था। बाद में उस मसौदे को तमाम हितधारकों के सुझावों के लिए पब्लिक डोमेन में रखा गया। मंत्रालय को इसके लिए करीब सवा 2 लाख सुझाव आए थे।