कुवैत
महामारी कोरोना ने न केवल भारत की बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था की हालत खराब कर रखी है। ऐसे में सभी देश अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कई कड़े कदम उठा रहे हैं। इसी कड़ी में कुवैत ने भी बड़ा फैसला लेते हुए भारतीय नागरिकों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। कुवैत सरकार के इस फैसले से 8 लाख लोगों के रोजगार पर संकट मंडरा रहा है।
कुवैत सरकार ने वीरवार को सरकार ने घोषणा की कि वो पिछले तक़रीबन साढ़े तीन माह से बंद पड़ी अंतरराष्ट्रीय विमान सेवाएं एक अगस्त से फिर से शरू होने जा रही है। इसके साथ ही यह भी ऐलान किया कि भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, ईरान और फिलीपींस से आने वालों को छोड़कर अन्य देशों में रहने वाले कुवैती नागरिक और प्रवासी आवाजाही कर सकते हैं।
इंडिया कम्यूनिटी सपोर्ट ग्रुप के अध्यक्ष राजपाल त्यागी ने कहा कि इस फ़ैसले से उन हज़ारों लोगों की नौकरियां चली जाएगी जो कोरोना के चलते भारत में फसे हुए हैं। कुवैत सरकार अपने नये लक्ष्य के मुताबिक देश की जनसंख्या कम करना चाह रही है, उसके लिये सबसे आसान तरीका है अप्रवासियों की संख्या कम करना। बता दे कि इस देश की कुल आबादी कुल आबादी 43 लाख है, इनमें से 13 लाख कुवैत के हैं और 30 लाख प्रवासी हैं। यानी कुवैत में कुवैती अल्पसंख्यक हो गए हैं। अब जो 30 लाख प्रवासी हैं, उनमें भी सबसे ज्यादा भारतीय हैं। लगभग 10 लाख. दूसरा नंबर है इजिप्ट के लोगों का। कुवैत की गिनती दुनिया के सबसे अमीर देशों में होती है। हाल ही में कुवैत के प्रधानमंत्री शेख सबाह अल खालिद अल सबाह ने पिछले महीने कुल आबादी में विदेशियों की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया था।