नई दिल्ली
पेट्रोलियम सचिव तरूण कपूर ने कहा कि सरकार जैव-ईंधन की घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिये प्राकृतिक गैस के साथ बॉयोगैस के मिश्रण पर गौर कर रही है। उन्होंने विश्व जैवईंधन दिवस पर अयोजित वेबिनार (इंटरनेट के जरिये आयोजित सेमिनार) में कहा गैस वितरण क्षेत्र तेजी से विस्तार कर रहा है और कुछ हिस्सा जैव स्रोतों से आना है। वे पूरी तरह एलएनजी या घरेलू गैस पर आश्रित नहीं रह सकते। यह गुंजाइश ऐसे भी सीमित है।
बॉयोगैस के लिये गन्ने से निकलने वाले एथेनॉल को पेट्रोल और गैर-खाद्य तेल से निकलने वाले बॉयोडीजल को डीजल में मिलाया जाता है। कपूर ने कहा कि भारत काफी हद तक कृषि आधारित अर्थव्यवस्था है और बड़े पैमाने पर कृषि अवशेष उपलब्ध हैं। इससे जैव-ईंधन के उत्पादन के लिये काफी गुंजाइश है। तीन जैव-ईंधन…एथेनॉल, बॉयो-डीजल और बॉयो गैस…हैं। इन्हें बॉयोमास से निकाला जाता है। पेट्रोलियम सचिव ने कहा अगर हम इन तीनों का उपयोग बेहतर तरीके से कर सके, हम कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता काफी हद तक कम कर सकते हैं। गैस के आयात पर भी निर्भरता कम होगी।
उपयुक्त प्रौद्योगिकी, कुशल और पेशेवर कार्यबल और वित्त पोषण के लिये वित्तीय संस्थानों को आह्वान किया। कपूर ने इस मामले में राज्य सरकारों से भी समर्थन मांगा क्योंकि कृषि अवशेष और अन्य कचरे नगर निगम के ठोस कचरे या अन्य कचरे से प्राप्त किये जा सकते हैं। इन्हें संग्रह करना, अलग करना, प्रबंधन और उसके बाद जैव-ईंधन उत्पादन के लिये संयंत्रों को आपूर्ति करनी होती है। उन्होंने कहा कि इस मामले में संबद्ध पक्षों खासकर किसानों को संवेदनशील किये जाने की जरूरत है। बॉयो ईंधन न केवल कच्चे तेल के आयात निर्भरता को कम करेगा बल्कि स्वच्छ पर्यावरण, किसानों के लिये अतिरिक्त आय और रोजगार भी सृजित करेगा। एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम के तहत तेल विपणन कंपनियों ने एक दिसंबर, 2019 से तीन अगस्त 2020 तक 113.09 करोड़ लीटर बॉयोडीजल की खरीद की। कार्यक्रम के तहत उन्होंने 2015-16 में 1.1 करोड़ लीटर बॉयोडीजल की खरीद की थी जो 2019-20 में बढ़कर 10.6 करोड़ लीटर हो गया।