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लखनऊ:भाजपा सरकार जनहित में कोई काम नहीं करना चाहती- अखिलेश यादव

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार जनहित में कोई काम नहीं करना चाहती है किन्तु काम के बहाने नए-नए नामों की चर्चा कर जनता को बहकाने में उसका कोई जवाब नहीं है। अपनी असफलताओं पर पर्दा डालने की ऐसी ही साजिशें रचते उसने साढ़े तीन साल पूरे कर लिए हैं। लेकिन झूठ ज्यादा दिन टिकता नहीं है। जनता सच्चाई जानती है। सन् 2022 में जनता भाजपा को उसकी सही जमीन दिखाने में चूक नहीं करेगी।
भाजपा की राज्य सरकार के कार्यकाल में बच्चियों एवं महिलाओं को सबसे ज्यादा दुश्वारियां उठानी पड़ी हैं। हत्या, अपहरण, बलात्कार की घटनाओं से पूरा प्रदेश थर्रा उठा है। महिलाओं एवं बच्चियों की जिंदगी हर क्षण खतरे में रहती है। मुख्यमंत्री को उनकी सुरक्षा की कभी चिंता नहीं हुई। अब चलाचली की बेला में महिलाओं एवं बच्चियों की सुरक्षा के नाम पर महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन बनाने की घोषणा की है। जब भाजपा राज्य में सत्ता में आई थी तो आते ही ऐंटी रोमियों स्क्वाड की घोषणा हुई थी। इस स्क्वाड ने महिलाओं का उत्पीड़न रोकने में कोई भूमिका नहीं निभाई उल्टे उससे उन्हें अपमानित करने का काम खूब हुआ। काफी समय से इसका कोई अतापता नहीं चला। इस स्क्वाड की जगह अब किस नये संगठन बनाकर जनता को गुमराह करने का काम भाजपा सरकार करने जा रही है। पुलिस कमिश्नरी प्रणाली राजधानी में लागू करने के बावजूद अपराध नियंत्रण के दावों का क्या हुआ? समाजवादी सरकार ने 1090 वूमेन पावर लाइन की व्यवस्था महिलाओं से छेड़छाड़ की शिकायतों की रोकथाम के लिए की थी। उसकी कार्यप्रणाली काफी प्रभावशाली रही थी। उसको निष्प्रभावी बनाकर भाजपा सरकार ने महिला शक्ति को कमजोर करने का काम किया है। प्रदेश में बढ़ते जनाक्रोश के चलते अब वह महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन के बहाने से अपनी साख बचाने की जुगत में लग गयी है। भाजपा सरकार ने हिंसा में सम्पत्ति के नुकसान की वसूली के लिए प्राधिकरण के गठन को मंजूरी दे दी है। इस प्राधिकरण का फैसला अंतिम होगा एक और किसी न्यायालय में उसके खिलाफ अपील नहीं की जा सकेगी। यह व्यवस्था एक तरह से अपातकाल जैसी होगी जब न दलील न अपील, न वकील की मान्यता होगी। लखनऊ-मेरठ के अधिकार क्षेत्र वाले इस प्राधिकरण के गठन से सरकार तानाशाही वाले सभी अधिकार हथियाना चाह रही है। दंगा क्षेत्र में हिंसा की रिपोर्ट भी सरकार के इशारे पर दर्ज होगी और बतौर सजा कथित दंगाई से वसूली भी मनमाने तरीके से की जाएगी। प्रदेश सरकार तो मनमाने तरीके से अपने विपक्ष को मौन कराने की हरचंद कोशिश में लगी है। वस्तुतः भाजपा अपनी एकाधिकारी मनोवृत्ति के चलते लोकतंत्र की सभी मान्यताओं को ताक पर रखने का काम कर रही है। विपक्ष को कुचलने और असहमति के स्वरों को दबाने के लिए भाजपा सरकार आरएसएस एजेण्डा के तहत ये कदम उठा रही है। भय, आतंक और नफरत के रास्ते जनता को उसके मौलिक संवैधानिक अधिकारों से वंचित करने का गम्भीर षडयंत्र कर रही है। भाजपा यह अच्छी तरह समझ ले, लोकतंत्र कोई भीड़तंत्र नहीं है। लोकतंत्र की अपनी संवैधानिक मान्यता है। कोई भी सरकार संविधान की अवहेलना नहीं कर सकती है। संविधान की शपथ लेकर जो सत्ता में आए है उन्हें अपने शपथ की मर्यादा तो रखनी ही चाहिए। वे वचन भंग के दोषी तो न बनें।

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