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स्थानीय नागरिकता प्रमाणपत्र रखने वालों के लिए भी डोमिसाइल जरूरी: राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह

श्रीनगर
प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री डा जितेन्द्र सिंंह ने कहा है कि जम्मूू कश्मीर में स्थानीय नागरिकता प्रमाणपत्र रखने वाले निवासियों के लिए भी डोमिसाइल प्रमाणपत्र हासिल करना जरूरी है।केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि प्रदेश के निवासी इस संबंध में फैलाई जा रही अफवाहों पर विश्वास न करें। जम्मू कश्मीर में नौकरियां, अन्य लाभ हासिल करने के लिए डोमिसाइल प्रमाणपत्र का होना जरूरी है। वह दिल्ली में मीडिया से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि डोमिसाइल प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए प्रदेश के निवासियों को स्थानीय नागरिकता प्रमाणपत्र के अलावा कोई ओर कागजात नही देना होगा। वहीं, विस्थापित कश्मीरी पंडितों के मुद्दों पर डा जितेन्द्र सिंह ने कहा कि वे स्थानीय नागरिकता प्रमाणपत्र या पंजीकरण प्रमाणपत्र के आधार पर डोमिसाइल प्रमाणपत्र हासिल कर सकते हैं। वहीं रिलीफ कमिश्नर के कार्यालय में पंजीकरण ने करवाने वाले विस्थापित कश्मीरी पंडित विस्थापित के लिए रिलीफ कमिश्नर कार्यालय में डोमिसाइल प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करने का विशेष प्रावधान रखा गया है। डा जितेन्द्र सिंह ने कहा कि डोमिसाइल लाेगों की बेहतरी के लिए है। इसे ऑनलाइन या खुद जाकर हासिल किया जा सकता है।वहीं राज्यसभा के नए सांसद विवेक ठाकुर ने रविवार को दिल्ली में डा जितेन्द्र सिंह से भेंट की। ठाकुर ने श्री माता वैष्णो देवी यात्रा शुरू होने पर खुशी जताने के साथ जल्द यात्रा कर कोरोना से सबकी सुरक्षा के लिए कामना करने की इच्छा जताई। विवेक ठाकुर पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा सीपी ठाकुर के पुत्र हैं। एनसीईआरटी की पुस्तक में पूर्व जम्मू कश्मीर और डोगरा शासन के चैप्टर को शामिल करने से सिर्फ जम्मू कश्मीर ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों के विद्यार्थी भी डोगरा शासन के इतिहास से रूबरू होंगे। केंद्र सरकार के इस प्रयास को काफी सराहा जा रहा है। अक्सर यह मांग उठती रही है कि डोगरा शासन के चैप्टर पढ़ाए जाएं। इसकी पहल एनसीईआरटी ने की है।पीएमओ में राज्यमंत्री डा. जितेंद्र सिंह ने ट्वीट कर कहा है कि पहली बार डोगरा राजवंश को सम्मान देने का कार्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया जा रहा है। एनसीईआरटी की आठवीं कक्षा की पुस्तक में अब जम्मू कश्मीर के डोगरा शासन पर भी चैप्टर शामिल किया गया है। प्रदेश भाजपा के प्रधान रविंद्र रैना ने भी केंद्र के इन प्रयासों की सराहना की है। बताते चले कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त होने और जम्मू व लद्दाख के अलग अलग केंद्र शासित प्रदेश बनने के एक साल बाद एनसीईआरटी की पुस्तक में पूर्व जम्मू कश्मीर और डोगरा शासन के चैप्टर को शामिल किया गया है। एनसीईआरटी की आठवीं कक्षा की इतिहास की पुस्तक में चैप्टर शामिल किया गया है जिसमें पूर्व जम्मू कश्मीर राज्य के अस्तित्व में आने और डोगरा शासन बारे विस्तार से चैप्टर दिया गया है। महाराजा गुलाब सिंह की जीवनी, उनको राजा बनाने से लेकर अन्य पहलुओं को चैप्टर में समेटा गया है। चैप्टर में इतिहास के उन पहलुओं को भी जोड़ा गया है जिसमें सिख शासन, अमृतसर संधि, लाहौर दरबार का भी जिक्र है। इससे पहले जम्मू कश्मीर बोर्ड आफ स्कूल एजूकेशन भी अपनी पुस्तकों में अनुच्छेद 370 के बाद जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन पर चैप्टर शामिल कर चुका है।

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