पेशावर
पाकिस्तान के खास दोस्त चीन का पाकिस्तानियों द्वारा जमकर विरोध किया जा रहा है। इसी क्रम में पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) की राजधानी मुजफ्फराबाद में नीलम और झेलम नदियों के ऊपर चीन की मदद से विशाल बांध बनाए जाने का विरोध लगातार तेज होता जा रहा है। सोमवार रात को बड़ी संख्या में लोगों ने मुजफ्फराबाद शहर में जोरदार मशाल जुलूस और विरोध मार्च निकाला व नारे लगाए कि नीलम-झेलम पर बांध न बनाओ और हमें जिंदा रहने दो।
जानकारी के अनुसार पाकिस्तान की सरकार ने सोमवार को कश्मीर के सुधानोटी जिले में झेलम नदी पर आजाद पट्टान हाइड्रो प्रॉजेक्ट का ऐलान किया। यह बांध चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का हिस्सा है। इस प्रॉजेक्ट को कोहाला हाइड्रोपावर कंपनी ने डिवेलप किया है जो चीन की तीन गॉर्गेज कॉर्पोरेशन की इकाई है। समझौते पर दस्तखत के समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी और चीन के राजदूत याओ जिंग शामिल थे। पीएम के स्पेशल असिस्टेंट असीम सलीम बाजवा ने इस डील को मील का पत्थर बताया है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि इन बांधों से पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचा है। पाकिस्तान में ट्विटर पर हैशटैग #SaveRiversSaveAJK से लगातार लोग ट्वीट करके अपना विरोध जता रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन से सवाल किया कि आखिर किस कानून के तहत इस विवादित जमीन पर बांध बनाने के लिए चीन और पाकिस्तान में समझौता हुआ है? उन्होंने कहा कि नदियों पर कब्जा करके पाकिस्तान और चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने बताया कि वे कोहाला प्रॉजेक्ट की तरह ही इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं इसे तब तक जारी रखना चाहिए जब तक इसे रोक नहीं दिया जाता।’ भारत के साथ पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनाव के बीच चीन और पाकिस्तान ने आपस में अरबों डॉलर का समझौता किया है। पाकिस्तान के हिस्से वाले कश्मीर (पीओके) के कोहोला में 2.4 अरब डॉलर के हाइड्रो पावर प्रॉजेक्ट के लिए यह समझौता हुआ है। यह प्रॉजेक्ट बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव का हिस्सा है जिसके जरिए यूरोप, एशिया और अफ्रीका के बीच कमर्शल लिंक बनाने का उद्देश्य है। इस प्रॉजेक्ट की मदद से देश में बिजली सस्ती हो सकती है।