नई दिल्ली
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का 84 साल की उम्र में निधन हो गया है। सोमवार शाम को 84 साल की उम्र में प्रणब मुखर्जी ने अंतिम सांस ली। वो पिछले कई दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। बीते दिनों प्रणब मुखर्जी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, उनकी सर्जरी भी हुई थी। प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट कर पिता के निधन की जानकारी दी। प्रणब मुखर्जी वर्ष 2012 से 2017 तक देश के 13वें राष्ट्रपति रहे। वहीं आज हम पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के उन बड़े फैसलों की बात करेंगे जिनकों आज भी याद किया जाएगा।
प्रणब मुखर्जी ने अपने कार्यकाल में बतौर राष्ट्रपति तीन बड़े आतंकी अजमल, अफजल और याकूब को फांसी दिलाने में अहम रोल निभाया और जल्द से जल्द मामले का निपटारा किया। प्रणब मुखर्जी ने अपने कार्यकाल में मुंबई के 26/11 हमले के दोषी अजमल कसाब और संसद भवन पर हमले के दोषी अफजल गुरु और 1993 मुंबई बम धमाके के दोषी याकूब मेनन की फांसी की सजा पर फौरन मुहर लगाई जिसको आज भी याद किया जाता है। कसाब को 2012, अफजल गुरु को 2013 और याकूब मेनन को 2015 में फांसी हुई थी।
अपने कार्यकाल के दौरान प्रणब मुखर्जी के पास पूरे कार्यकाल में करीब 37 क्षमायाचिका आए, जिसमें उन्होंने ज्यादातर में कोर्ट की सजा को बरकरार रखा। कार्यकाल की समाप्ति के दौरान प्रणब मुखर्जी ने रेप के दो मामलों में दोषियों को क्षमा देने से मना कर दिया। एक मामला इंदौर का था और दूसरा पुणे का। प्रणब मुखर्जी अपने फैसले के दौरान चार लोगों को जीवनदान दिया था जिसको आज भी साहसी फैसला मानकर याद किया जाता है। ये बिहार में 1992 में अगड़ी जाति के 34 लोगों की हत्या के मामले में दोषी थे। राष्ट्रपति रहते हुए उन्होंने 2017 नववर्ष पर कृष्णा मोची, नन्हे लाल मोची, वीर कुंवर पासवान और धर्मेन्द्र सिंह उर्फ धारू सिंह की फांसी की सजा को आजीवन कारावास की सजा बदल दिया था।