बारामूला
पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आका घाटी को दहलाने की लगातार साजिशें रच रहे हैं। प्रदेश के बारामूला जिले में एक ऐसी ही साजिश का पर्दाफाश हुआ है। जिले के रामपुर सेक्टर में रविवार को सीमा पर संदिग्ध हलचल देखी गई थी। इस दौरान संदिग्धों ने घुसपैठ की नापाक हरकत की। इसके बाद सर्विलांस ग्रिड को सक्रिय किया गया। जिसने चौकसी जारी रखी और अगले दिन सुबह करीब पांच बजे इलाके की तलाशी शुरू की। सात घंटे के तलाशी अभियान के बाद, रामपुर सेक्टर में दो ठिकानों से हथियार और गोला-बारूद की बड़ी खेप बरामद की गई। सेना की 19वीं डिवीजन के जीओसी वीरेंद्र वत्स ने बताया कि सीमा पार से संदिग्ध गतिविधि की जानकारी मिली थी। इसके बाद सुरक्षाबलों ने मोर्चा संभाला और हथियारों का जखीरा बरामद करने में सफलता पाई है। बरामद हथियारों में पांच एके-47, छह पिस्टल, दो यूजीबीएल ग्रेनेड, 21 हैंड ग्रेनेड, पिस्टल के छह कारतूस, एके-47 के 1254 कारतूस और एक रेडियो सेट बरामद हुआ। इससे पहले सोमवार को जम्मू संभाग के रियासी जिले में आतंकवाद को फिर जिंदा करने की कोशिश को नाकाम करते हुए पुलिस और सेना ने लश्कर-ए-तैयबा का मॉड्यूल ध्वस्त कर तीन मददगार गिरफ्तार किए थे। माहौर ,कलवा और सिलधार के रहने वाले तीन आरोपियों में सरकारी स्कूल का एक शिक्षक भी शामिल है। पुलिस के अनुसार, गुलाम हुसैता निवासी कलवा मलास (मिडिल स्कूल शिक्षक), अब्दुल अजीज निवासी सिलधार और अशफाक अहमद निवासी मलान माहौर ने पूछताछ में लश्कर के साथ संबंधों को कबूल कर लिया है। यह सभी पीओके में जिस हैंडलर मोहम्मद कासिम के संपर्क में थे, वो भी रियासी के माहौर का ही मूल निवासी है। जांच के दौरान बैंक खातों से बेनामी लेनदेन और मारे गए आतंकियों के परिवारों को आईएसआई की फंडिंग के भी सुबूत मिले हैं। लश्कर ने 18 साल से पीओके में रह रहे माहौर निवासी मोहम्मद कासिम को रियासी में आतंकी नेटवर्क खड़ा करने का जिम्मा सौंपा। उक्त आरोपी लगातार इनके संपर्क में रहे जोकि राजोरी, माहौर, निक्की गली से होकर कश्मीर घाटी से जुड़ने वाली कुलगाम बेल्ट को आतंकी गतिविधियों के लिए फिर से सक्रिय करने की साजिश पर काम कर रहे थे।