लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ ने किसानों की सुविधा के लिए वाराणसी व अमरोहा में मैंगो हाउस स्थापित करने का निर्णय लिया है ।जिससे आम उत्पादन पर मूल्य संवर्धन करते हुए हुए देश सहित विदेशी बाजार में विक्रय का बेहतर अवसर प्राप्त हो सके। 27 प्रमुख मण्डियों को वर्तमान में आधुनिक किसान मण्डी के रूप में विकसित किया जा रहा है। 24 मंडियों में फल और सब्जी आदि को सुरक्षित व गुणवत्तापूर्वक रखने के लिये कोल्ड स्टोरेज व राइपनिंग चैम्बर की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है ताकि कृषक अपनी उपज का सही मूल्य मिलने के लिए 1-2 दिवस की प्रतीक्षा भी कर सकें तथा राइपनिंग चैम्बर द्वारा उपज को उचित प्रकार व गुणवत्तायुक्त ढंग से पका सकें। इस परियोजना के अंतर्गत मंडी में 20 एमटी कैपेसिटी के राइपनिंग चैम्बर तथा 10 एमटी क्षमता का कोल्ड चैम्बर स्थापित किया जायेगा। प्रत्येक पर लगभग रूपये 3 करोड़ रुपए की लागत आयेगी। इस परियोजना को वित्तीय वर्ष 2020-21 में पूर्ण किया जाना लक्षित है।केन्द्र सरकार की नीतियों और सुद्दढ़ करने के लिए राज्य सरकार कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को प्रोत्साहित करने के लिए एक व्यापक नीति शीघ्र लेकर आ रही है। इस नीति के अंतर्गत प्रदेश में क्रियाशील व भविष्य में गठित होने वाले एफपीओ को कन्वर्जन्स के माध्यम से केन्द्र व राज्य की विभिन्न कल्याणकारी नीतियों का लाभ दिया जा सकेगा। एफपीओ की समस्याओं का निराकरण करने के लिए कृषि विभाग के अधीन डेडीकेटेड सेल गठित कर वरिष्ठ अधिकारियों व विशेषज्ञों के दल को तैनात किया जायेगा।मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा किये गये सुधारों का व्यापक तथा सकारात्मक लाभ मिलेगा। किसानों को अपनी उपज को मण्डी परिसरों में विक्रय करने में बाध्यता को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है। अब वे प्रदेश के अधिसूचित मण्डी के अतिरिक्त किसी और स्थान जैसे भंडार गृह, कोल्ड स्टोरेज या खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों में अपनी उपज विक्रय कर सकेंगे। फार्म गेट पर ही व्यापारियों,निर्यातकों या खाद्य प्रसस्करण इकाइयों को उचित दाम लेकर विक्रय कर सकेंगे। इससे किसानों का यातायात एवं ढुलान पर व्यय बचेगा और हानि को बचाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार किसानों की उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिये कटिबद्ध है। कोविड काल में भी प्रदेश के किसानों का 35.77 लाख टन गेहूं क्रय किया गया। साथ ही दलहन व तिलहन फसलों की भी खरीद की गई। यह सुनिश्चित किया गया कि बाजार मूल्य, न्यूनतम समर्थन मूल्य या उससे अधिक रहे। किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए धान, तिलहन व दलहन को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्रय करने की पूरी तैयारी की जा रही है।