जम्मू
जम्मू-कश्मीर के उच्च पर्वतीय क्षेत्रों का उम्दा किस्म का रसीला सेब दिवाली तक बाजार में आएगा। अब तक अर्ली वेरायटी का सेब मंडियों तक पहुंच चुका है। कश्मीर घाटी में सेब का तुड़ान अंतिम चरणों में चल रहा है। मौजूदा समय में बागवान रेड डिलिशियस, गुरमत, क्रिमसन, बुलगेरियन और क्रास अमरी प्रजाति के सेब का तुड़ान कर रहे हैं। देशभर में इन उम्दा प्रजातियों के सेब की खासी मांग रहती है। बागवानी विभाग के अनुसार देरी से तैयार होने वाली सेब की ये प्रजातियां नंवबर तक बाजारों में पहुंच जाएगी। इसके लिए ऑनलाइन बुकिंग भी हो चुकी है।
वहीं, अगस्त माह से हजरबली, रजावली प्रजातियों के सेब देशभर में भेजे जा रहे हैं। नरवाल मंडी से सेब को जम्मू संभाग के अलग-अलग बाजारों में भेजा जा चुका है। वहीं, सितंबर माह में तोड़ा गया सेब गलेशियर, अमेरिकन परेल को अक्तूबर माह के अंत तक भेजने की तैयारी है। अक्तूबर में सेब का दाम अच्छा मिलता है। इस बार कश्मीर घाटी में सेब की पैदावार 26 लाख मीट्रिक टन के आसपास होने का अनुमान है। इसमें से करीब 19 लाख मीट्रिक टन सेब देश भर में भेजा जाना है। दो से तीन लाख एमटी सेब विदेशों में निर्यात भी होगा। महाराजी प्रजाती के सेब को अमृतसर और चेन्नई भेजा जाएगा। इसका स्वाद खट्टा होता है। इस कारण इसका प्रयोग शरबत बनाने के लिए होता है। शरबत बनाने वाली कंपनियों ने जरूरत के हिसाब से ऑर्डर बुक करवाए हैं। तीस सितंबर तक दो लाख मीट्रिक टन सेब को लखनपुर के रास्ते अन्य प्रदेशों में भेजा जा चुका है। रोजाना औसतन 700 से 800 ट्रक सेब लेकर रवाना हो रहे हैं। उम्दा किस्म का रसीला सेब दिवाली पर बाजार में आएगा। अर्ली किस्म की प्रजातियां मंडियों में आ चुकी हैं। सेब का तुड़ान अंतिम चरण में है। दो लाख मीट्रिक टन सेब भेजा जा चुका है। करीब 19 लाख मीट्रिक टन सेब भेजना प्रस्तावित है। ऑनलाइन बुकिंग के बाद कई बागवानों को भुगतान भी हो चुका है।