मोदी सरकार का बड़ा फैसला, सभी सरकारी दफ्तरों में BSNL-MTNL की सेवाओं को होगा उपयोग

नई दिल्ली
मोदी सरकार ने सरकारी टेलीकॉम कंपनियों BSNL और MTNL को लेकर बड़ा फैसला किया है। केंद्र सरकार ने सभी मंत्रालयों, सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों को आदेश जारी कर सार्वजनिक क्षेत्र की भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) की टेलीकॉम सेवाओं का उपयोग करना अनिवार्य कर दिया है। टेलकॉम डिपार्टमेंट (DoT) की ओर से जारी अधिसूचना में ये बात कही गई है। इस ज्ञापन पत्र को केंद्र सरकार की तरफ से वित्त मंत्रालय से परामर्श करने के बाद 12 अक्टूबर को सभी सचिवों और विभागों को भेजा गया है। डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम के इस मेमोरंडम में कहा गया है कि सभी मंत्रालयों और विभागों से अनुरोध किया जाता है कि वे अपने नियंत्रण वाले सीपीएसई और सेंट्रल ऑटोनोमस ऑर्गेनाइजेशन को इंटरनेट/ब्रॉडबैंड, लैंडलाइन और लीज्‍ड लाइन के लिए बीएसएनएल व एमटीएनएल नेटवर्क का अनिवार्य इस्‍तेमाल करने के लिए आवश्‍यक निर्देश जारी करें।​​​​​​​
मोदी सरकार का ये फैसला घाटे में चल रही सार्वजनिक टेलीकॉम कंपनियों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। क्योंकि इन इन कंपनियों के वायरलाइन उपभोक्‍ताओं की संख्‍या लगातार कम हो रही है। वित्त वर्ष 2019-20 में बीएसएनएल (BSNL) को 15,500 करोड़ रुपए और एमटीएनएल (MTNL) को 3,694 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। नवंबर, 2008 में बीएसएनएल के वायरलाइन उपभोक्‍ताओं की संख्‍या 2.9 करोड़ थी, जो इस साल जुलाई में घटकर लगभग 80 लाख रह गई है। एमटीएनएल के फ‍िक्‍स्‍ड लाइन उपभोक्‍ताओं की संख्‍या नवंबर, 2008 के 35.4 लाख से घटकर इस साल जुलाई में 30.7 लाख रह गई है। बीएसएनएल ने अपने नेटवर्क का विस्‍तार करने और ऑपरेशनल खर्च की पूर्ति के लिए सॉवरेन गांरटी बांड के जरिये 8500 करोड़ रुपए से अधिक की राशि जुटाई है। एमटीएनएल भी सॉवरेन बांड्स के माध्‍यम से 6500 करोड़ रुपए जुटाने की प्रक्रिया में है। हालांकि ये रकम अभी तक कंपनी ने जुटाई नहीं है।

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