देश के सबसे बड़े गिरनार रोप-वे प्रोजेक्ट का काम खतम, अब नहीं चढ़नी पड़ेंगी 9999 सीढ़ियां

गिरनार
देश के सबसे बड़े गिरनार रोप-वे प्रोजेक्ट का काम अब पूरा हो चुका है, इसका ट्रायल भी अंतिम चरण में है। रोप-वे का निरीक्षण कर रहे अधिकारियों ने कहा, आगामी 24 अक्टूबर को इसका लोकार्पण की तैयारी चल रही है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में से एक है। इसके चलते इसका लोकार्पण उन्हीं के द्वारा ऑनलाइन किया जाएगा। बता दें, रोप-वे से गिरनार की तलहटी से अंबाजी तक की 900 मीटर की दूरी मात्र 7.5 मिनट में ही तय हो जाया करेगी, जिसे तय करने में अभी 5-6 घंटों के समय लग जाता है। नौ टावर लगाए गए: ऑस्ट्रिया से चार विशेषज्ञों की टीम रोप-वे के अंतिम कार्य को पूरा करने में जुटी है। टावर पर रस्सी लगाकर ट्रॉली का ट्रायल शुरू कर दिया गया है। सर्वप्रथम खाली ट्रॉली और फिर वजन के साथ ट्रॉली का ट्रायल किया जा रहा है। गिरनार रोपवे प्रोजेक्ट भवनाथ तलहटी से पर्वत पर स्थित अंबाजी मंदिर तक है। इसमें नौ टावर लगाए गए हैं। इसमें छह नंबर का टावर सबसे ऊंचा करीब 67 मीटर है, जो कि गिरनार के एक हजार सीढ़ी के पास स्थित है। गिरनार रोपवे गुजरात सरकार के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। राज्य और केन्द्र सरकार की सीधी देखरेख में समग्र प्रोजेक्ट का कार्य किया जा रहा है। रोपवे प्रोजेक्ट से तीर्थयात्रियों के समय और ऊर्जा दोनों की बचत होगी। कुछ ही समय में जूनागढ़ का गिरनार रोपवे पर्यटन के क्षेत्र में आकर्षण का केन्द्र बन जाएगा। भवनाथ की तलहटी से गिरनार पर्वत पर अंबाजी मंदिर की दूरी 2.3 किलोमीटर है। इसे रोपवे के जरिए सिर्फ सात मिनट में पूरा किया जा सकेगा। शुरुआत में 24 ट्रॉली लगाई जाएगी। एक ट्रॉली में आठ लोग बैठेगे। इससे एक फेरे में 192 यात्री जा सकेंगे।

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