नई दिल्ली
ई-कॉमर्स क्षेत्र की प्रमुख कंपनी अमेजन (Amazon) की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा अमेजन पर लगाए गए जुर्माने को नाकाफी बताया है। मंत्रालय ने अमेजन पर अपने प्लेटफॉर्म पर बिक रहे उत्पादों के निर्माण देश यानी कंट्री ऑफ ऑरिजिन का ब्यौरा नहीं देने पर 25 हजार रुपए का जुमार्ना लगाया था। कैट ने कहा है कि जुर्माने को वसूलने का उद्देश्य यह है कि अपराधियों को उनकी गलती का अहसास कराया जाए ताकि वे दोबारा ऐसा न करें।
कैट ने कहा कि इन कंपनियों के खिलाफ ऐसी सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, जिसका उदाहरण दिया जा सके। इसलिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर 7 दिनों तक प्रतिबंद लगा दिया जाना चाहिए। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी. सी. भरतिया और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने एक संयुक्त बयान में कहा कि इतना मामूली जुर्माना लगाया जाना न्याय व्यवस्था और प्रशासन का मजाक उड़ाना है। कैट ने मांग की है कि जुर्माना या सजा का प्रावधान अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान के हिसाब से लगाया जाना चाहिए।
भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूत करने के लिए जरूरी है कि उत्पादों का कंट्री ऑफ ऑरिजिन का ब्यौरा दिया जाए, लेकिन ई-कॉमर्स कंपनियां लगातार नियमों और कानूनों का खुला उल्लंघन करने पर आमदा है। कैट ने मांग की है कि इन कंपनियों द्वारा पहली गलती किए जाने पर सात दिन और दूसरी बार गलती किए जाने पर 15 दिनों का प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने राज्यों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि सभी ई-कॉमर्स कंपनियां नियमों का अनुपालन करें। मंत्रालय के 19 नवंबर के आदेश में कहा गया है कि अमेजन का जवाब संतोषजनक नहीं था, जिसके बाद उसपर जुर्माना लगाया गया है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कानून (Legal Metrology (Packaged Commodities) Rules) के तहत पहली गलती के लिए अमेजन पर प्रति डायरेक्टर 25,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया है। हालांकि, फ्लिपकार्ट (Flipkart) पर कोई जुर्माना नहीं लगाया गया है।