चंडीगढ़
‘नए कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब समेत देशभर के किसान आंदोलन कर रहे हैं परंतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों की बात सुनने की बजाय अपने ‘मन की बात’ में इन काले कानूनों का गुणगान कर रहे हैं। इससे साफ है कि मोदी सरकार किसानों की बात सुनने के लिए तैयार नहीं है।’ यह कहते हुए आप पंजाब प्रधान भगवंत मान ने कहा कि प्रधानमंत्री को बिना शर्त किसानों के मन की बात सुननी चाहिए।
मान ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा शर्तें लगाकर किसानों को बातचीत के लिए बुलाने पर कहा कि वह कह रहे हैं कि पहले हमारे पिंजरे में आओ, फिर बात करेंगे। वह कह रहे हैं कि किसान पहले बुराड़ी जाकर प्रदर्शन करें, फिर बात की जाएगी, यह शर्त क्यों लगाई? अन्नदाता किसान जहां बैठना चाहता है उसे वहीं बैठने दिया जाए और बिना शर्त बात की जाए। उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा के किसान हरियाणा पुलिस का अत्याचार बर्दाश्त करते हुए सभी रुकावटें तोड़ देश की राजधानी दिल्ली में पहुंचे हैं। गृह मंत्री बात सुनने की बजाय हैदराबाद के एम.सी. चुनाव में व्यस्त हैं, इससे ज्यादा गैर-जिम्मेदार कौन हो सकता है? उन्होंने कहा कि दुख की बात है कि देश के लिए अन्न पैदा करने वाले किसान को सत्ता के अहंकार में भाजपा के मंत्री गुंडा और हुल्लड़बाज कह रहे हैं।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किसानों का अपमान किया है, जो कह रहे हैं कि हरियाणा के किसान आंदोलन में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि 18 जत्थेबंदियों के 80,000 किसान हरियाणा के हैं। गत दिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विश्वास दिलाया था कि किसानों को उनकी सरकार की ओर से हरसंभव सुविधा दी जाएगी, क्योंकि आम आदमी पार्टी खुद आंदोलनों से निकली हुई पार्टी है और अंदोलन की भावनाओं को समझती है।