मुंबई
शिवसेना ने शुक्रवार को कहा कि पंजाब के किसानों ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनों के जरिये मोदी सरकार को घुटनों पर ला दिया है तथा दुनिया उनके द्वारा दिखाई गई एकता से सीख ले रही है। पार्टी ने केन्द्र से प्रदर्शनकारी किसानों की मांगें सुनने का भी आग्रह किया। शिवसेना के मुखपत्र सामना में एक संपादकीय में कहा गया है, कड़ाके की ठंड के बावजूद पंजाब के किसानों ने मोदी सरकार के पसीने छुड़ा दिये हैं। प्रदर्शन उग्र होता दिख रहा है। मोदी सरकार को पहले कभी ऐसी चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा। सरकार के सदाबहार हथियार सीबीआई, आयकर विभाग, ईडी और एनसीबी इस मामले में काम नहीं आ रहे हैं। किसानों ने सरकार को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया है।
संपादकीय में आगे कहा गया है वे (किसान) अपनी मांग पर अडिग हैं कि तीनों विवादित कृषि कानूनों को रद्द किया जाना चाहिए। यहां तक कि, चौथे दौर की बातचीत के दौरान बैठक में उन्होंने सरकार की ओर से दिया गया भोजन और पानी तक ग्रहण करने से मना कर दिया। नोटबंदी, जीएसटी को लेकर मोदी सरकार पर हमला करते हुए उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना ने आरोप लगाया कि बेरोजगारी तथा महंगाई जैसे मुद्दों को दबाने के लिए मोदी सरकार ने भारत-पाक संघर्ष जैसे मुद्दों का इस्तेमाल किया। पार्टी ने कहा लॉकडाउन की वजह से परेशान लोगों के समक्ष इसने (मोदी सरकार ने) राम मंदिर की पेशकश की। हालांकि, पंजाब के किसानों के सामने कोई लॉलीपॉप काम नहीं आया। यह पंजाब की एकता की जीत है। प्रदर्शन को नाकाम करने के लिए भाजपा के आईटी प्रकोष्ठ ने हरसंभव प्रयास किए।
सामना में कहा गया है कि जब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बूढे किसान की पुलिस द्वारा पिटाई की एक तस्वीर पोस्ट की थी तब भाजपा के आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने उन पर तंज किया था लेकिन अब ट्विटर ने मालवीय को असलियत बता दी है। संपादकीय में कहा गया है प्रदर्शनकारियों द्वारा मोदी सरकार के लिए मुश्किल खड़ी किए जाने से हम खुश नहीं हैं लेकिन हम चाहते हैं कि सरकार किसानों की बात सुने।