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कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन तेज: कंपकंपाती ठंड में किसानों की आज भूख हड़ताल

नई दिल्ली
कंपकंपाती ठंड में कृषि कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन को तेज करते हुए किसानों ने आज भूख हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है। एक ओर जहां मोदी सरकार कृषि कानूनों को देश के किसानों के हित में बता रही है, वहीं किसान संगठन इसे अहित बता रहे हैं।
बीते 25 दिनों से ठंड में भी पंजाब-हरियाणा समेत देश के कई हिस्सों से आए हजारों किसान दिल्ली और उसके आसपास की सीमाओं पर डटे हैं। किसान संगठनों ने रविवार को घोषणा की वे यहां सभी प्रदर्शन स्थलों पर आज यानी सोमवार को एक दिन की भूख हड़ताल करेंगे और 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा में सभी राजमार्गों पर टोल वसूली नहीं करने देंगे। वहीं, किसानों के इस ऐलान को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक बार फिर किसानों को बातचीत का न्योता भेजा है और किसान यूनियनों से तारीख तय करने को कहा है।
किसानों और केंद्र के बीच पांचवें दौर की बातचीत के बाद नौ दिसंबर को वार्ता स्थगित हो गई थी क्योंकि किसान यूनियनों ने कानूनों में संशोधन तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रखने का लिखित आश्वासन दिए जाने के केंद्र के प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया। इससे पहले रविवार को पंजाब-हरियाणा के किसानों ने श्रद्धांजलि दिवस भी मनाया और उन किसानों को श्रद्धांजलि दी जिनकी मौत जारी आंदोलन के दौरान हुई है। किसान संगठनों ने दावा किया, आंदोलन में शामिल 30 से अधिक किसानों की दिल का दौरा पड़ने और सड़क दुर्घटना जैसे विभिन्न कारणों से मौत हुई है।
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने इस संदर्भ में किसानों के संगठनों को एक पत्र लिखा है। गौरतलब है कि किसानों से वार्ता के लिए केंद्र सरकार ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में मंत्रिस्तरीय एक समिति गठित की थी। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और सोमप्रकाश इसके सदस्य हैं। सरकार से किसानों की अब तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है जो विफल रही है। किसानों के संगठनों की एक बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ भी बैठक हो चुकी है, लेकिन उसका नतीजा भी शून्य रहा है।

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