रिलायंस-फ्यूचर रिटेल डील: दिल्ली उच्च न्यायालय ने खारिज की याचिका

नई दिल्ली
दिल्ली उच्च न्यायालय ने किशोर बियानी की अगुवाई वाले फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें अमेजन को सिंगापुर की अदालत के फैसले के बारे में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), सीसीआई को लिखने से मना करने की अपील की गई थी। अक्तूबर में सिंगापुर की एक मध्यस्थता अदालत ने रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप की डील पर अंतरिम रोक लगा दी थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने रेगुलेटर्स को इस विवाद पर निर्णय करने का आदेश दे कर सकेंत दिया है कि मामले को भारतीय कानून व्यवस्था के तहत ही सुलझाया जाएगा। 
अपने आदेश में उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि अमेजन ने फेमा और एफडीआई के नियमों का उल्लधंन किया है। अमेजन ने विभिन्न समझौते करके FRL पर नियंत्रण करने की कोशिश की जिसे सही नही ठहराया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि अगर फ्यूचर और रिलायंस को अमेजन की हरकतों के कारण नुकसान उठाना पड़ा है तो उस पर सिविल कार्यवाही हो सकती है।  इससे पहले 20 नवंबर को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने रिलायंस इंडस्ट्रीज और फ्यूचर समूह के सौदे को मंजूरी दे दी थी। जिसके बाद दोनों कंपनियां डील को अंतिम रूप देने में जुट गई हैं। सीसीआई के फैसले से अमेरिकी दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन को तगड़ा झटका लगा था।
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने एफआरएल की दलील को खारिज कर दिया। याचिका में दावा किया गया था कि अमेजन 24,713 करोड़ रुपये के रिलायंस और फ्यूचर सौदे पर आपातकालीन न्यायाधिकरण के फैसले के बारे में अधिकारियों को लिख रही है। सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण केंद्र (एसआईएसी) ने 25 अक्तूबर के अपने आदेश में अमेजन के पक्ष में फैसला देते हुए फ्यूचर रिटेल लिमिटेड पर कंपनी की परिसंपत्तियों के किसी भी तरह के हस्तांतरण, परिसमापन या किसी करार के तहत दूसरे पक्ष से कोष हासिल करने के लिए प्रतिभूतियां जारी करने पर रोक लगाई है। 
मामला पिछले साल अगस्त में फ्यूचर समूह की कंपनी फ्यूचर कूपंस लिमिटेड में 49 फीसदी हिस्सेदारी का अमेजन द्वारा अधिग्रहण किए जाने और इसी के साथ समूह की प्रमुख कंपनी फ्यूचर रिटेल में पहले हिस्सेदारी खरीदने के अधिकार से जुड़ा है। फ्यूचर रिटेल में फ्यूचर कूपंस की भी हिस्सेदारी है। इस संबंध में विवाद तब उत्पन्न हुआ जब फ्यूचर समूह ने करीब 24,000 करोड़ रुपये में अपने खुदरा, भंडारण और लॉजिस्टिक कारोबार को रिलायंस इंडस्ट्रीज को बेचने का समझौता किया।

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