पीएम मोदी ने 100वीं ‘किसान रेल’ को दिखाई हरी झंडी

देश के किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम: पीएम मोदी

नई दिल्ली/मुंबई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज महाराष्ट्र के सांगोला से पश्चिम बंगाल के शालीमार तक चलने वाली 100वीं ‘किसान रेल’ को हरी झंडी दिखाई। मालूम हो कि ‘किसान रेल’ में फल, सब्ज़ी, दूध, मछली, यानि जो भी जल्दी खराब होने वाली चीजें हैं, वो पूरी सुरक्षा के साथ एक जगह से दूसरी जगह पहुंच रही हैं।
प्रधानमंत्री मोदीने कहा, किसान रेल सेवा, देश के किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में भी एक बहुत बड़ा कदम है। इससे खेती से जुड़ी अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव आएगा। इससे देश की कोल्ड सप्लाई चेन की ताकत भी बढ़ेगी। पीएम मोदीने कहा, देश के हर क्षेत्र की खेती को, किसानों को किसान रेल से कनेक्ट किया जा रहा है। कोरोना की चुनौती के बीच भी बीते 4 महीनों में किसान रेल का ये नेटवर्क आज 100 के आंकड़े पर पहुंच चुका है। उन्होंने कहा, किसान रेल से देश के 80 प्रतिशत से अधिक छोटे और सीमांत किसानों को बहुत बड़ी शक्ति मिली है। इसमें किसानों के लिए कोई न्यूनतम मात्रा तय नहीं है। कोई किसान 50-100 किलो का पार्सल भी भेज सकता है।
प्रधानमंत्री मोदीने कहा, हमारी सरकार भण्डारण की आधुनिक व्यवस्थाओं पर, सप्लाई चैन के आधुनिकीकरण पर करोड़ों का निवेश तो कर ही रही है। साथ ही किसान रेल जैसी नई पहल भी की जा रही है। उन्होंने कहा, छोटे किसानों को कम खर्च में बड़े बाजार देने के लिए हमारी नीयत भी साफ ही और नीति भी स्पष्ट है। हमने बजट में ही इसकी महत्वपूर्ण घोषणा कर दी थी- पहली किसान रेल और दूसरी कृषि उड़ान।
प्रधानमंत्रीने कहा, जहां तक भाड़े की बात है, इस रूट पर रेल का माल भाड़ा, ट्रक के मुकाबले 1,700 रुपये कम है। किसान रेल में सरकार 50 प्रतिशत छूट भी दे रही है। इसका भी किसानों को लाभ मिल रहा है। पीएमने कहा, ‘किसान रेल जैसी सुविधाएं मिलने से कैश क्रॉप, ज्यादा दाम वाली, ज्यादा पोषक फसलों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहन बढ़ेगा। छोटा किसान पहले इन सबसे इसलिए नहीं जुड़ पाता था, क्योंकि उसको कोल्ड स्टोरेज और बड़े मार्केट मिलने में दिक्कत होती थी।
प्रधानमंत्री मोदीने कहा, ‘आज पश्चिम बंगाल के किसान भी इस सुविधा से जुड़ा है। वहां आलू, कटहल, बैंगन, गोभी जैसी सब्जियां खूब होती हैं। साथ ही अनानास, लीची, अनार, केला भी वहां के किसान उगाते हैं। मछली की भी कमी नहीं है। समस्या इनको देशभर के बाजार तक पहुंचाने की रही है। किसान रेल से पश्चिम बंगाल के किसानों को बड़ा विकल्प मिला है।

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