आंदोलन के बीच नेताओं के इस्तीफो का दौर शुरू, 4 दिन में 2 बड़े नेताओं व 1 विधायक ने छोड़ा पद

पानीपत
एक तरफ किसान आंदोलन चल रहा है तो दूसरी और हरियाणा में कई बड़े नेताओं ने पार्टियां छोड़ दी। एक नेता तो विधायक पद से ही इस्तीफा दे दिया है। इनेलो के विधायक अभय सिंह चौटाला स्वयं विधायक पद से इस्तीफा दे चुके है। अभय सिंह चौटाला ने किसान आंदोलन में घोषणा करते हुए कहा था कि यदि 26 जनवरी तक कानून रद्द नहीं होते तो वे 27 जनवरी को विधानसभा अध्यक्ष के सामने पेश होकर विधायक पद से इस्तीफा दे देंगे। जिन्होंने अपनी जुबान को निभाते हुए विधानसभा अध्यक्ष के सामने पेश होकर इस्तीफा दे दिया था।
इसके बाद भाजपा के नेता पूर्व संसदीय सचिव रामपाल माजरा ने भारतीय जनता पार्टी को छोडऩे का ऐलान किया। पार्टी छोडऩे के दौरान ही रामपाल माजरा ने जजपा और भाजपा पर जमकर प्रहार किया। रामपाल माजरा का अपने क्षेत्र में काफी प्रभाव है। मौका मिलने पर उन्होंने कलायत या उचाना से चुनाव लडऩे की इच्छा भी व्यक्त की है। आने वाले समय में इस फैसले का उनके क्षेत्र में काफी प्रभाव रहेगा। अब बलवान सिंह दौलतपुरिया ने भी भाजपा को छोडऩे का ऐलान कर दिया है। बलवान सिंह पूर्व विधायक है।
इस प्रकार 4 दिन में 3 बड़े नेताओं द्वारा किसानों के समर्थन में पार्टियां व पद छोडऩे से साबित होता है कि आने वाले दिनों में कुछ और इस्तीफे ऐसी पार्टियों से हो सकते है जो खुलकर किसानों के साथ नहीं आ रही है। इस्तीफा देने वाले सभी नेताओं का एक ही सुर में कहना है कि उन्होंने किसानों के समर्थन में पार्टियों को छोड़ा है। इनके अलावा जननायक जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान भी किसानों के समर्थन में आने का फैसला ले चुके है तथा कहा है कि वे किसान पहले व उनके लिए राजनीति बाद में है।
वहीं बदले हालात व माहौल में कुछ नेताओं ने किसानों के समर्थन में अपनी पार्टियों से इस्तीफे देने शुरू कर दिए है। इसका असर आगामी समय में देखने को मिलेगा। माना जा रहा है कि जिस पार्टी की लहर या आगामी राजनीतिक माहौल बनेगा उस पार्टी में यह नेता शामिल हो सकते है या उस पार्टी से चुनाव लड़ सकते है। जिन पार्टियों से किसानों की नाराजगी रहेगी उनमें जाने से नेता बचने का काम करेंगे। हालांकि हरियाणा के मुख्यमंत्री व भाजपा के विधायक कृषि अध्यादेशों को किसानों के हित में बता रहे है तथा आंदोलन में विपक्ष की मिलीभगत के आरोप लगा रहे है। यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि किसकी, किसके साथ मिलीभगत थी तथा कौन, किसको प्रायोजित कर रहा था।

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