किसानों के समर्थन में बोले दीपेन्द्र हुड्डा, प्रजा की बात मानने से किसी सरकार की हार नहीं होती

चंडीगढ़
दीपेंद्र हुड्डा ने आज राज्यसभा में किसानों का मुद्दा उठाया। इस दौरान उन्होंने कहा कि दिल्ली के सभी बार्डरों पर लाखों किसान संयम से बैठे है। 72 दिन में कई लोगों ने अपनी जान गवा दी है लेकिन फिर भी सरकार उनकी कोई सुध नहीं ले रही है। ये लोग जो बार्डरों पर बैठे है उन्हें देशद्रोही बोला जा रहा है, उनके बेटे देश की रक्षा के लिए सरहदों ड्यूटी दे रहे, तो जब बाप टिकरी, सिंघु और गाजिपुर में अपना हक मांग रहा तो क्या सरहद पर देश के लिए कुर्बान होने वाला उसका बेटा भी देशद्रोही होगा। उन्होंने कहा कि अपनी प्रजा की बात मानने से किसी सरकार की हार नहीं होती।
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि कृषि कानूनों को जल्दबाजी में लागू किया है । इनके लागू होने के बाद 6 महीने पंजाब और हरियाणा में इसका विरोध हुआ लेकिन जब सरकार ने फिर भी किसानों की नहीं सुनी तो किसानों द्वारा दिल्ली के राम लीला ग्राउंड में धरना देना चाहते थे। उन्होंने कहा किसान शांति से दिल्ली की और बढ़ रह थे लेकिन हरियाणा की सरकार ने इनपर अत्याचार किया। देश की राजधानी सील कर दी गई जिसके बाद बार्डरों पर धरना शुरू किया गया। 11 दौर की बातचीत के बाद भी इसका कोई हल नहीं निकला।
26 जनवरी को दिल्ली में जो कुछ भी हुआ वह असंहनीय है उसकी जांच होना चाहिए। किसान बार्डर पर धरना देना नहीं चाहते थे लेकिन हरियाणा की सरकार हमलावर हो गई। धरनों से 194 लाशे अब तक आ चुकी है लेकिन सरकार फिर भी इसे गंभीरता से नहीं ले रही। किसी भी आंदोलन में इतनी जाने नहीं गई जितनी किसान आंदोलन में चली गई है। किसान आंदोलन को दबाने के लिए मीडिया ने भी बहुत जोर लगाया। प्रजाचतंत्र पर प्रचार तंत्र हावी हो गया।
दीपेंद्र ने कहा कि पीएम मोदी ने कुछ दिन पहले एक बयान दिया था कि किसानों और मुझमें बस एक फोन की दुरी है। उस समय आसा जगी थी कि इस मुद्दे का हल हो सकता है लेेकिन पीएम के बयान के बाद स्थिती विपरीत हो गई सरकार ने इंटरनेट बंद कर दिया, दीवारे खड़ी कर दी और तो और रास्ते में कीले लगा दी। उन्होंने कहा कि ये कौन लोग है जो किसान और पीएम के बीच आ रहे है। धरने पर से शौचालय को हटवा दिया गया, पानी बंद कर दिया गया जबकि पीएम द्वारा स्वच्छ भारत का नारा दिया है। किसान सरकार से कुछ मांगने नहीं आए बल्कि जो सरकार उन्हें देना चाहती है वो भी वापिस करने आए। एमएसपी को बचाने के लिए किसान लड़ाई लड़ रहा है अपनी जमीन को बचाने के लिए किसान बार-बार गुहार लगा रहा है।

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