वाशिंगटन
म्यांमार में सत्ता पर सेना के नियंत्रण के बाद पहली बार संयुक्त राष्ट्र (UN) ने स्टैंड लिया और म्यांमार की सेना के साथ बातचीत की। संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष दूत (म्यांमार) ने म्यांमा के सैन्य उप प्रमुख से बात की और सेना की कार्रवाइयों की ‘‘कड़ी निंदा” की और हिरासत में लिए गए सभी नेताओं को तुरंत रिहा करने की अपील की। संयुक्त राष्ट्र महासचिव की म्यांमा मामलों पर विशेष दूत क्रिस्टीन श्रेनर बर्गनर ने राजधानी नेपीता में डिप्टी कमांडर इन चीफ वाइस जनरल सोई विन से बात की। महासचिव एंतानियो गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने यह जानकारी दी।
दुजारिक ने कहा कि म्यांमा के डिप्टी कमांडर इन चीफ के साथ ऑनलाइन बातचीत में बर्गनर ने ‘‘महासचिव द्वारा सेना की कार्रवाइयों की कड़ी निंदा को दोहराया जिससे देश में लोकतांत्रिक सुधार बाधित हुए हैं।” दुजारिक ने कहा कि बर्गनर ने हिरासत में लिए गए सभी लोगों को तुरंत रिहा करने की अपील को भी दोहराया। उन्होंने कहा कि बर्गनर ने रोहिंग्या शरणार्थियों को सुरक्षित, सम्मानजनक, स्वैच्छिक एवं सतत वापसी के मुद्दे, शांति प्रक्रिया, जवाबदेही और वर्तमान मामले में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में चल रही सुनवाई में हिस्सा लेने पर जोर दिया।
दुजारिक ने कहा कि एक फरवरी को सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के बाद पहली बार बर्गनर और सेना उप प्रमुख के बीच ‘‘लंबी” और ‘‘काफी महत्वपूर्ण” वार्ता हुई। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् ने तख्तापलट के तीन दिन बाद बृहस्पतिवार को म्यांमा की स्थिति पर प्रेस विज्ञप्ति जारी की। बयान में हिरासत में लिए गए सभी लोगों को तुरंत रिहा करने की अपील की गई। दुजारिक ने सुरक्षा परिषद् के बयान को संगठन की तरफ से ‘‘पहला सकारात्मक कदम” बताया। बर्गनर ने आसियान के विभिन्न प्रतिनिधियों के साथ बात की ताकि ‘‘सुनिश्चित किया जा सके कि सभी एक लक्ष्य के साथ काम कर रहे हैं।”