पेशावर
कंगाली के दौर से गुजर रही पाकिस्तान सरकार विपक्ष के साथ-साथ अब सरकारी कर्मचारियों के निशान पर आ गई है। वेतन बढ़ाने की मांग को लेकर सरकारी कर्मचारी प्रधानमंत्री इमरान खान का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर गए हैं। इमरान सरकार के इशारे पर पुलिस ने निहत्थे कर्मचारियों पर न केवल आंसू गैस के गोले दागे बल्कि लाठीचार्ज कर खदेड़ने की कोशिश की। पाकिस्तानी सचिवालय के पास इकट्ठा हुए कई कर्मचारियों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है। यह प्रदर्शन राजधानी इस्लामाबाद के सचिवालय ब्लॉक, कैबिनेट ब्लॉक और कांस्टिच्यूशन एवेन्यू सहित कई इलाकों में किए गए। इस्लामाबाद के नेशनल प्रेस क्लब के बाहर भी बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया। इसमें बलूचिस्तान और पंजाब में तैनात कर्मचारी भी शामिल थे। बाद में प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन की ओर मार्च शुरू किया जिसके बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागते हुए लाठियां भांजी।
कर्मचारियों के इस्लामाबाद की सड़कों पर आंदोलन को इमरान सरकार ने देश की सुरक्षा से जोड़ दिया है। सूचना मंत्री शिबली फराज ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान रेड जोन की सुरक्षा और कर्मचारियों के आंदोलन पर बहुत चिंतित हैं। उन्होंने दावा किया कि इमरान खान ने संबंधित मंत्रालयों को कर्मचारियों के मुद्दों को तुरंत हल करने का निर्देश दिया है। बता दें कि करज में डूबी पाकिस्तान सरकार चाहकर भी अभी कर्मचारियों का वेतन नहीं बढ़ा सकती है।
आर्थिक रूप से कंगाल हो चुके पाकिस्तान इस समय ऐसी स्थिति में नहीं है कि वह फिर से हजारों करोड़ रुपये कर्मचारियों के वेतन पर अतिरिक्त खर्च कर सके। पाकिस्तान का कुल रोजकोषीय घाटा जीडीपी का 8.6 फीसदी तक पहुंच गया है। ऐसी स्थिति में इमरान सरकार इस घाटे को और बढ़ाना नहीं चाहती है। हर पाकिस्तानी के ऊपर अब 1 लाख 75 हजार रुपये का कर्ज है। इसमें इमरान खान की सरकार का योगदान 54901 रुपये है, जो कर्ज की कुल राशि का 46 फीसदी हिस्सा है। कर्ज का यह बोझ पाकिस्तानियों के ऊपर पिछले दो साल में बढ़ा है। यानी जब इमरान ने पाकिस्तान की सत्ता संभाली थी तब देश के हर नागरिक के ऊपर 120099 रुपये का कर्ज था