रांची
झारखंड मुक्ति मोर्चा के 12वें केंद्रीय महाधिवेशन में शिबू सोरेन एक बार फिर से सर्वसम्मति से केंद्रीय अध्यक्ष चुने गए। इस दौरान हेमंत सोरेन को भी फिर से कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया। महाधिवेशन में केंद्रीय समिति के सदस्यों का भी चुनाव हुआ। इससे पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा अध्यक्ष शिबू सोरेन ने रांची के हरमू स्थित सोहराय भवन में दीप प्रज्ज्वलित कर पार्टी के केंद्रीय महाधिवेशन का उद्घाटन किया।
शिबू सोरेन ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि आदिवासी ईमानदार समाज है। उन्होंने गांव से पूछ कर योजनाओं को बनाने की सलाह दी। महाधिवेशन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रदेश की सबसे बड़ी और मजबूत पार्टी है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में संगठन को पंचायत और गांव स्तर तक मजबूत बनाया जाएगा। महाधिवेशन में संगठनात्मक मजबूती और भावी कार्यक्रमों की रूपरेखा पर चर्चा हो रही हैं। उन्होंने कहा कि जेएमएम एक ऐसा वटवृक्ष है, जिसके नीचे सभी को छांव मिलेगा।
हेमंत सोरेन ने कहा कि पार्टी के लिए उत्सव का दिन हैं। उन्होंने कहा कि जेपीएससी पर विवाद खड़ा करने की कोशिश की जा रही हैं, जबकि अब इस परीक्षा में 75 फीसदी अभ्यर्थी झारखंड के आदिवासी-मूलवासी है, जबकि पहले 75 प्रतिशत बाहरी होते थे। महाधिवेशन में कई राजनीतिक प्रस्ताव पारित किए गए, जिसमें कहा कि देश का वर्तमान राजनैतिक परिस्थितियों को लोकतंत्र के लिए गंभीर चुनौती बनकर उभरा है। जन उन्माद से जन्मी मान्यताएं देश को धर्म, जाति, वर्ग, वर्ण में कुत्सीत ढंग से बांटने का काम कर रही हैं। केंद्र के स्थापित संवैधानिक तथा स्वायत संस्थानों के मूल स्वरूप को विगत 7 वर्षों में ध्वस्त कर एक अंध राजभक्त संस्थानों के रूप में परिवर्त्तित कर दी गई, जहां राजा की भक्ति, स्तुति ही एक मात्र मंत्र है।
असहमति को राजद्रोह मानने की एक नई प्रवृति विकसित हो गई, जिसमें प्रतिष्ठित मीडिया वर्ग जो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ था, उसे पूरी तरह काबू में लेकर किया गया। निरंकुश संख्या बल और व्यावसायिक समूहों के प्रति उत्तरदायी बनकर शासक वर्ग देश की अर्थव्यवस्था को पूंजीपतियों के बैलेंस शीट के रूप में परिवर्त्तित करने की तैयारी कर रही है।