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सज गई बकरा मंडी, कहीं 170 किलो का ‘सुल्तान’ तो कहीं 7 लाख में भी बेचने को तैयार नहीं मालिक

रतन गुप्ता                                          

 कुर्बानी के पर्व यानी कि ईद-उल-अजहा यानी बकरीद का त्योहार 29 जून को मनाया जाएगा, जिसके लिए लोगों ने तैयारियां भी शुरू कर दी है। इस त्योहार के लिए बकरों की डिमांड भी बहुत ज्यादा बढ़ गई है और इस वक्त बकरा मंडी में बकरे काफी ऊंचे दामों में बिक रहे हैं। 7 लाख का ‘सुल्तान’ लेकिन राजस्थान के झूंझनू जिले के गाड़ाखेड़ा गांव का एक बकरा इस वक्त केवल बाजार में ही नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर भी काफी चर्चित हो गया है,  इसकी कीमत 7 लाख तक जा पहुंची है लेकिन इसका मालिक इसे बेचने को जरा भी तैयार नहीं है। गर्दन पर लिखा है ‘अल्लाह’ दरअसल इस बकरे की गर्दन पर अरबी भाषा में ‘अल्लाह’ लिखा हुआ है और इसी कारण इसका मालिक दिनेश कुमार इसे बेचने को कतई तैयार नहीं है। लोग इसके लिए मुंह मांगी कीमत देने को तैयार हैं लेकिन दिनेश अपनी बात से पीछे नहीं हट रहे हैं, आपको बता दें कि वो लंबे वक्त से पशुपालन का काम करते आए हैं लेकिन इस बार इस बकरे की वजह से वो काफी चर्चित हो गए हैं। सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे ‘सुल्तान’ नाम दे दिया है। 170 किलो का एक और ‘सुल्तान’ ये तो हुई दिनेश शर्मा के ‘सुल्तान’की बात तो वहीं *दूसरी ओर यूपी के बाराबंकी के बकरा मंडी में 170 किलो का एक बकरा है और इत्तफाक से इसका नाम भी ‘सुल्तान’ ही है ।जो कि लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बना हुआ है। सवा लाख का ‘शेरा ‘ भी है बाजार में आपको बता दें कि इस मंडी में इस बार सवा लाख का ‘शेरा ‘ भी आया है। ये बकरे देखने में काफी तगड़े हैं और इनकी खुराक भी बहुत ज्यादा है इसलिए ये काफी मंहगे भी हैं इसलिए इनको खरीदार नहीं मिल रहे हैं। मंडी में बकरों की अलग-अलग कीमत ‘शेरा’ बकरा के मालिक उस्मान अली हैं तो वहीं ‘सुल्तान’ के मालिक का नाम आफाक अहमद हैं, जो कि नौगढ़ के रहने वाले हैं। फिलहाल बकरा मंडी में बकरों की अलग-अलग कीमत हैं। ये हजार से शुरू होकर लाख तक पहुंचे हैं। बकरा मंडी में आपको हर नस्ल के बकरे देखने को मिलेंगे लेकिन सबसे ज्यादा डिमांड अलवरी, बर्रा नस्लों की होती है। क्यों दी जाती है कुर्बानी? आपको बता दें कि ‘बकरीद’ को अरबी में ईद-उल-जुहा कहते हैं। इस दिन हजरत इब्राहिम अपने पुत्र इस्माइल को खुदा के लिए कुर्बान करने का फैसला किया था लेकिन जैसे वो अपने बेटे की गर्दन काटने जा रहे थे तभी खुदा ने उनके बेटे को जीवनदान दे दिया था इसी वजह से ये दिन उनको समर्पित है। अरबी में ‘बकर’ का अर्थ होता है ‘बड़ा जानवर जो काटा जाता है जबकि ईद-ए-कुर्बां का मतलब है ‘बलिदान की भावना’।

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