नेपाल मे भारी बर्षा के कारण कुशीनगर के नरवाजोत तटबंध पर दबाव देखकर उड़ी नींद


रिपोर्टर रतन गुप्ता

नेपाल से वाल्मीकिनगर बैराज सेे गंडक नदी में पानी छोड़ने का सिलसिला जारी

गंडक नदी में पानी बढ़ने से नरवाजोत तटबंध पर खतरा मंडराने लगा है। पानी का दबाव तटबंध पर इस कदर बढ़ रहा है कि तटवर्ती गांववालों की नींद उड़ गई है। मानसून के आगाज के साथ गंडक में पानी बढ़ने से तटवर्ती गांवों के लोगों को बाढ़ की चिंता सताने लगी है।
वाल्मीकिनगर बैराज से गंडक नदी में पानी छोड़ा जा रहा है। अभी तक पानी का डिस्चार्ज 40 से 60 हजार क्यूसेक के बीच बना हुआ है। बावजूद किमी 1.400 से किमी 1.700 के बीच नरवाजोत तटबंध पर दबाव अधिक है। कटान रोकने के लिए तटबंध पर बोल्डर का स्लोप बनाने का कार्य शुरू किया गया है। पानी का डिस्चार्ज बढ़ने पर कभी भी नदी रौद्र रूप धारण कर सकती है। इससे तटबंध टूट सकता है।

गांववालों का आरोप है कि समय रहते तटबंध पर बोल्डर पिचिंग का कार्य विभाग ने पूरा नहीं कराया। यदि समय रहते यह कार्य कर लिया होता तो यह नौबत नहीं आती। लग रहा है कि बाढ़ खंड विभाग की लापरवाही की वजह से इस वर्ष भी लोगों को बाढ़ की विभीषिका झेलनी पड़ेगी।

आग लगने पर कुआं खोदता है बाढ़ खंड
नरवाजोत तटबंध को मजबूत करने के लिए शासन की ओर से किमी 1.000 पर ठोकर पुनर्स्थापना के साथ रिवेटमेंट कार्य के लिए 3.30 करोड़ की परियोजना मंजूर की गई है, लेकिन विभागीय उदासीनता की वजह से अभी तक कार्य पूरा नहीं हो सका है। हालांकि, 30 जून तक हर हाल में अधूरे परियोजनाओं को पूरा करने के निर्देश थे। गांववालों का आरोप है कि पुनर्स्थापना का कार्य पूरा हो गया होता तो शायद तटबंध पर दबाव कम होता।

हरकत में आए अफसर, गिरने लगे बोल्डर
डिस्चार्ज में वृद्धि से बाढ़ खंड विभाग के अफसर हरकत में आ गए हैं। खतरे को भांपते हुए जेई और एसडीओ तटबंध पर बचाव कार्य तेज कर दिए हैं। तटबंध के स्लोप पर बोल्डर पिचिंग कराने में जुटे हैं। पानी बढ़ जाने से पुनर्स्थापना कार्य की गति धीमी हो गई है। पानी के दबाव को देखते हुए प्राथमिकता के आधार पर तटबंध को मजबूत करने में जिम्मेदार जुटे हैं।

कटान रोकने पर पुख्ता इंतजाम जरूरी
नरवाजोत तटबंध के किनारे निवास करने वाले ग्रामीण धनंजय सिंह, प्रहलाद चौहान, भोला सिंह, दिलीप निषाद, रामनरेश सिंह, पंकज साह, संदीप सिंह, ध्रुव निषाद, प्रभुनाथ यादव, मनोज सिंह, नोखलाल सिंह का कहना है कि इसी तटबंध की मजबूती पर पिपराघाट के कई गांवों की सुरक्षा निर्भर करती है। ऐसे में यहां पर कटान रोकने का पुख्ता इंतजाम जरूरी है। अगर तटबंध टूटा तो सैकड़ों गांव बाढ़ की चपेट में आएंगे। पानी का दबाव ऐसा बना है कि रात को नींद नहीं आ रही है।

वर्जन
नरवाजोत तटबंध पर बचाव कार्य जारी है। गंडक नदी में डिस्चार्ज बढ़ने से तटबंध पर दबाव बढ़ा है। स्लोप पिचिंग का कार्य कराया जा रहा है। पुनर्स्थापना का कार्य भी जारी है।
-रमेश यादव, एसडीओ, बाढ़ खंड तृतीय

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