रिपोर्टर रतन गुप्ता महराजगंज
नेपाल में हो रही बारिश की वजह से जहां महाव नाला एक बार फिर उफना गया, वहीं जिले की सीमा में गुजरने वाली नदियों का जलस्तर भी बढ़ा कोई बचाव कार्य नही होने से ग्रामिण आक्रोशीत है ।
नेपाल में दो दिन से हो रही भारी बारिश थम गई तो जिले की नदियां भी स्थिर हो गईं, लेकिन मंगलवार को हल्की बारिश के बाद महाव नाला ओवरफ्लो हो गया और सभी नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी शुरू हो गई है। इसके साथ ही अब एक नई समस्या सामने आने लगी है। पानी का बहाव तेज है, इससे नदियों में कटान का खतरा बढ़ गया है। नेपाल सहित अन्य जगहों पर बारिश कम होने से सोमवार को नदी बढ़ाव कम रहा, लेकिन नदी की धारा काफी तेज है। इससे किनारों पर कटान तेजी से हो रही है। वहीं, रेनकट और रैटहोल की वजह से बंधे पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं और लोग डरे सहमे हुए हैं।
जिले की नदियों के जलस्तर में बढ़ोत्तरी दर्ज हुई। नेपाल में रुक रुक कर हो रही बारिश का असर जिले की नदियों के जलस्तर पर दिख रहा है। अंदेशा जताया जा रहा था कि अगर नेपाल में इसी तरह से जबरदस्त बारिश होती रही तो राप्ती और रोहिन समेत सभी नदियों का जलस्तर बढ़ जाएगा। मगर खतरा बहुत दूर नहीं है। जिले में मंगलवार को महज दो मिलीमीटर बारिश हुई है। नेपाल में हो रही बारिश की वजह से जहां महाव नाला एक बार फिर उफना गया है, वहीं जिले की सीमा में गुजरने वाली नदियों का जलस्तर भी बढ़ा है। जानकारों का कहना है कि दो दिन पूर्व जिस तरह नदी का जलस्तर बढ़ रहा था, अगर वैसा ही रहता तो चार दिन में बाढ़ के हालात पैदा हाे जाते।
महाव नाले के जलस्तर में दो फीट से ज्यादा की हुई बढ़ोतरी
सिंचाई विभाग नियंत्रण कक्ष से शाम चार बजे प्राप्त सूचना के मुताबिक सोमवार की तुलना में मंगलवार को महाव नाले का जलस्तर दो फीट चार इंच बढ़ा मिला। प्यास नदी में 1.25 मीटर की बढ़त मिली। राप्ती नदी के जलस्तर में 0.37 मीटर, रोहिन के जलस्तर में 0 .540 मीटर एवं गंडक के जलस्तर में 1.30 मीटर की बढ़त पाई गई। चंदन नदी 99 मीटर पर बहती मिली।
राप्ती नदी का खतरे का निशान 80.83 मीटर निर्धारित है और सोमवार शाम चार बजे यहां पर नदी का बहाव 78.16 मीटर रहा। सोमवार की रात आठ बजे राप्ती नदी स्थिर रही। नेपाल में बारिश से राप्ती नदी, रोहिन, गंडक का पानी से तेजी से बढ़ा। शनिवार की शाम चार बजे से रविवार की शाम चार बजे तक राप्ती नदी 1.02 मीटर बढ़ गई। नदी का यह रूप देखकर प्रशासनिक अमला हरकत में आ गया। राप्ती के अलावा अन्य नदियों में चढ़ाव पाया गया। लेकिन सोमवार को रोहिन, महाव, गंडक के चढ़ाव की गति बेहद धीमी रही। जानकारों का कहना है कि रविवार को नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों में कम बारिश होने से नदियां धीमी पड़ी हैं। नेपाल में हल्की बारिश शुरू होने से नदियों के जल स्तर में धीरे धीरे बढोत्तरी होने के साथ कटान खतरा बढ़ रहा है।
बाढ़ आए या ना आए, शुरू हो गई तैयारी
सिंचाई विभाग से जुड़े लोगों ने बताया कि वर्ष 2022 में राप्ती का पानी नवंबर माह में 76.11 मीटर पहुंचा था। वर्ष 2021 में 77.29 मीटर तक इसे दर्ज किया गया था। इसको देखते हुए इस साल भी प्रशासनिक तैयारी शुरू हाे गई है। बाढ़ बचाव समितियों को अलर्ट कर दिया गया है। साथ ही कई जगहों पर बंधों की मरम्मत का कार्य भी चल रहा है। रेनकट और रैटहोल भरे जा रहे हैं। तेजी से कार्य किए जा रहे हैं।
मंगलवार को जिले के नदी व नाले के जलस्तर का विवरण
नदी व नाले का नाम—– खतरे का निशान——–जलस्तर
गंडक नदी (फीट में)——–362———————–351
महाव नाला (फीट में)——-पांच फीट—————-पांच फीट नौ इंच
राप्ती नदी (मीटर में)——–80.30———————78.35
रोहिन नदी (मीटर में)——-82.44———————79.54
चंदन नदी (मीटर में)——-101.05——————–99.00
प्यास नदी (मीटर में)——102.25——————–101.25
बारिश में बंधे पर हुई कटान
पनियरा क्षेत्र के लक्ष्मीपुर बाढ़ चौकी के 30 मीटर आगे बारिश के दौरान बांध कटकर क्षतिग्रस्त हो गया है। वहीं खड़जा टूटकर बिखर गया है। गांव के संतोष कुमार मिश्रा ने बताया कि लक्ष्मीपुर के पास बंधे पर कहीं भी मिट्टी डालने का कोई काम नहीं हुआ है। पानी का दबाव बढ़ने पर समस्या हो सकती है। जनता को होने वाली समस्या पर अधिकारी गंभीर नहीं हैं।
सड़क में बड़ा सा छेद बना गया
पनियरा क्षेत्र के बंगाली चौराहे के पास एनएच सड़क के किनारे बारिश के दौरान बड़ा छेद बन गया है। आने जाने वाले चार पहिया एवं दो वाहनों के लिए काफी दिक्कत हो रही है। अगर समय रहते हुए अधिकारियों ने होल में मिट्टी नहीं भरवाई तो कोई बड़ा हादसा हो सकता है। श्रीभागवत ने कहा कि सिंचाई विभाग ने बंधे को सुरक्षित रखने के लिए बोल्डर पिचिंग कार्य कराया है। किनारे पर मिट्टी की बोरियां नहीं भरवाई गई हैं, इससे जल्द ही बारिश में बोल्डर पत्थर धंसकर नीचे गिर जाएगा।
हल्का सा धंसा बंधा, कट भी बना
रानीपुर गांव के पांडेयपुर के पास बंधा हल्का सा धंस गया है। बारिश के कारण जगह जगह बांध पर रेनकट बने हैं, लेकिन इसको दुरुस्त करने में कोई रुचि नहीं ले रहा है। वहीं तटबंध किनारे बसे ग्रामीणों में बाढ़ को लेकर भय बना हुआ है। धीरज त्रिपाठी का कहना है कि बंगाली चौराहे से लेकर औरहिया तक बंधे पर पिच सड़क बन रही है। जहां पर गिट्टियां बिछाकर उसे ऐसे छोड़ दी गई है। अगर समय रहते हुए अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो बारिश में बांध जगह जगह कटकर क्षतिग्रस्त हो जाएंगे। नदी का जलस्तर बढ़ने पर बाढ़ का खतरा बन जाएगा।
बाढ़ आने पर बंधे पर शरण लेनी पड़ती
पनियरा क्षेत्र के रानीपुर बंगाली चौराहे के पास बंधे के पास श्रषिमणि चौहान, छेदीलाल, डॉ उमाशंकर मौर्य, परमहंश चौहान आदि लोगों का घर है। इन लोगों का कहना है कि बेहतर ढंग से काम नहीं होता है। इस वजह से हमेशा डर लगता है। इन दिनों पानी स्तर कम है। बाढ़ आने पर पर बंधे पर रही शरण लेनी पड़ती है।
जिन जगहों पर बारिश के दौरान रोहिन नदी के जर्दी डोमरा बांध पर गड्ढे बने हैं। उसको दुरुस्त कराया जा रहा है। जल्द ही कार्य पूरा हो जाएगा। बंधों की सुरक्षा को लेकर गंभीरता बरती जा रही है।
विनोद कुमार, अवर अभियंता, सिंचाई विभाग बाढ़ खंड, महराजगंज