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उत्तर प्रदेश में पिछले 24 घंटे में भारी बारिश, विभिन्न हादसों में 12 लोगों की मौत, IMD ने येलो अलर्ट जारी किया-

रिपोर्टर रतन गुप्ता

उत्तर प्रदेश में पिछले 24 घंटे में भारी बारिश हुई और वर्षा जनित हादसों में 12 लोगों की मौत हो गई। वहीं मौसम विभाग ने बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है।

उत्तर प्रदेश में के कई जिलों में पिछले 24 घंटों में भारी बारिश हुई है। बारिश से जुड़े विभिन्न हादसों में 12 लोगों की मौत हो गई। मौसम विभाग ने अगले छह दिनों तक प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में वर्षा होने का अनुमान व्यक्त किया है। बाराबंकी, बहराइच, गोण्‍डा, हापुड., कन्‍नौज, चित्रकूट और सोनभद्र में 30 मिमी0 से ज्यादा बारिश हुई है। पिछले 24 घंटे में प्रदेश में आकाशीय बिजली से 1 , डूबने से 9, अतिवृष्टि से 1 तथा सर्पदंश से एक शख्स की मौत हुई है।

18 जुलाई तक अनेक स्थानों पर बारिश का अनुमान
मौसम केंद्र लखनऊ की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में आगामी 18 जुलाई तक अनेक स्थानों पर बारिश होने का अनुमान है। कुछ क्षेत्रों में भारी से बहुत भारी वर्षा भी हो सकती है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों के दौरान राज्य के 58 जिलों में बारिश का यलो अलर्ट जारी किया है।

घाघरा नदी ने खतरे के निशान को किया पार
सहारनपुर से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक जिले मे लगातार चार दिनो से हो रही वर्षा के बीच नगला थाना क्षेत्र स्थित कोटा गांव की निवासी 52 वर्षीय महिला सरला देवी का कच्चा मकान ढल गया जिसके मलबे में दबकर महिला की मौत हो गई। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक जल भरण क्षेत्रों में व्यापक वर्षा की वजह से घाघरा नदी एल्गिन ब्रिज (बाराबंकी) में खतरे के निशान को पार कर गई है और इसका जलस्तर लगातार बढ़ रहा है।

हथिनी कुंड बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद प्रशासन अलर्ट
राहत आयुक्त कार्यालय से मिली सूचना के मुताबिक हथिनी कुंड बैराज से लगभग 1.90 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से प्रभावित होने वाले जिलों शामली, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, अलीगढ़, मथुरा, आगरा, फिरोजबाद और इटावा के स्थानीय प्रशासन से बातचीत कर स्थिति के लिए तैयारी करने को कहा गया है शामली जिले में पांच गांवों में जलभराव की स्थिति है मगर किसी प्रकार की आबादी प्रभावित नहीं है। गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, अलीगढ़, मथुरा, आगरा, फिरोजबाद और इटावा में बाढ़ की स्थिति नहीं है। सहारनपुर पहल से ही बाढ़ से प्रभावित है और लगभग 2000 लोग बाढ़ राहत शिविरों में रह रहे हैं।

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