रिपोर्टर रतन गुप्ता
यूपी में बिना बताए ड्यूटी से गायब चल रहे 742 डाक्टरों को नौकरी से बर्खास्त किया जा सकता है। कार्रवाई के लिए महानिदेशालय ने शासन को सूची भेजी है। सरकार जल्द ही इसपर अंतिम फैसला करेगी। 13 साल पहले 180 डाक्टरों को बर्खास्त किया गया था। संभवत यह बिना सूचना दिए नौकरी छोड़कर निजी अस्पतालों में चले गए हैं। इसमें ज्यादातर विशेषज्ञ डाक्टर हैं।
यूपी में 742 डाक्टर नौकरी से किये जाएंगे बर्खास्त
बिना बताए ड्यूटी से गायब चल रहे 742 डाक्टरों पर बर्खास्तगी की तलवार लटक गई है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशालय की ओर से अनुपस्थित चल रहे इन चिकित्सकों की सूची शासन को सौंप दी गई है। अब शासन इन पर जल्द अंतिम निर्णय करेगा। सूची में पांच वर्ष तक अनुपस्थित चल रहे डाक्टरों के नाम शामिल हैं लेकिन एक व दो वर्ष से गायब रहने वालों की संख्या ज्यादा हैं। संभवत: यह बिना सूचना दिए नौकरी छोड़कर निजी अस्पतालों में चले गए हैं। इसमें ज्यादातर विशेषज्ञ डाक्टर हैं।
यूपी में पहले से ही चिकित्सकों की कमी हैं। 19,700 पदों के सापेक्ष सिर्फ 11 हजार पद ही भरे हैं। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य निदेशक (प्रशासन) डा. राजा गणपति आर ने बताया कि 742 डाक्टरों की सूची शासन को भेज दी गई है। इन डाक्टरों को तीन-तीन बार नोटिस जारी किए गया और उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला। ऐसे में माना जा रहा है कि यह नौकरी छोड़कर चले गए हैं। अब इन्हें बर्खास्त करने पर अंतिम निर्णय शासन करेगा।
दरअसल सरकारी के मुकाबले निजी अस्पतालों में ज्यादा वेतन और सुख-सुविधाओं के कारण यह भाग रहे हैं। वहीं जांच में यह भी सामने आ रहा है कि कुछ डाक्टर गायब होने के बावजूद जिलों में मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) कार्यालय से सांठगांठ कर वेतन भी ले रहे थे। ऐसे में सरकारी खजाने को भी यह चपत लगा रहे थे। अब ऐसे चिकित्सकों से वसूली होगी और वेतन भुगतान करने वाले कर्मचारी व अधिकारी नपेंगे।
वर्ष 2010 में भी ऐसे करीब 180 डाक्टरों को बर्खास्त किया गया था। उस समय जो सूची तैयार हुई थी उसमें 10 वर्ष से गायब चल रहे डाक्टरों के नाम शामिल थे। उस समय इन चिकित्सकों की सर्विस की निरंतरता व आचरण की वार्षिक गोपनीय आख्या (एसीआर) न होने के आधार बनाकर कार्रवाई की गई थी। मालूम हो कि एक डाक्टर को साल भर में 14 आकस्मिक अवकाश और हर साल 31 अर्जित अवकाश भी मिलता है। इसे चाहे वह हर वर्ष खर्च कर लें, अगर एकत्र करते हैं तो रिटायर होने पर 300 दिनों का अवकाश नकदीकरण के रूप में भुगतान किया जाता है। पूरे सेवाकाल में दो वर्ष का चिकित्सीय अवकाश भी मिलता है।
कुछ डाक्टर पीजी कर भाग गए
बर्खास्तगी के लिए डाक्टरों की जो सूची तैयार की गई उसमें कुछ ऐसे हैं जो एमबीबीएस कर सरकारी नौकरी में आए और फिर स्नातकोत्तर (पीजी) की पढ़ाई कर निकल लिए। क्योंकि एमबीबीएस पास डाक्टरों को एक वर्ष की सेवा करने पर नीट-पीजी में 10 प्रतिशत, दो वर्ष पर 20 प्रतिशत और तीन वर्ष या इससे अधिक की सेवा होने पर अधिकत 30 प्रतिशत वेटेज मिलता है। ऐसे में इसका लाभ लेकर पीजी किया और फिर धीरे से निकल गए। हलांकि पीजी में दाखिले के समय एक करोड़ रुपये का बांड भराया जाता है, लेकिन अभी तक किसी से वसूली नहीं हुई है।
उप मुख्यमंत्री सख्त, अब तक 25 डाक्टर हुए बर्खास्त
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक लगातार जिलों में सरकारी अस्पतालों का निरीक्षण कर रहे हैं। कई अस्पतालों में उन्हें चिकित्सक गायब मिले। बताया गया कि वह छुट्टी पर हैं,उन्हें इस पर गड़बड़ी होने का शक हुआ। उन्होंने जांच के निर्देश दिए तो बीते करीब चार महीने में 25 से अधिक डाक्टरों को बर्खास्त किया गया। फिर उन्होंने महानिदेशालय से सभी जिलों में लंबे समय से अनुपस्थित डाक्टर की सूची मांगी। अब सूची तैयार कर शासन को कार्रवाई के लिए भेजी गई है।