रिपोर्टर रतन गुप्ता
भारत को घेरने के लिए चीन उसके पड़ोसी देशों को अपने जाल में फंसाना चाहता है। उसने पाकिस्तान और श्रीलंका को काफी हद तक अपने शिंकजे में ले रखा है, ऐसे में अब उसकी नजर नेपाल पर है। इस बीच शनिवार को नेपाली प्रधानमंत्री पुष्क कमल दहल चीन के दौरे पर पहुंचे।
चीनी मीडिया के मुताबिक 23 सितंबर की सुबह पीएम प्रचंड चीन के हांगझोऊ पहुंचे। वहां से उन्होंने अपनी चीन की आधिकारिक यात्रा शुरू की। चीन ने प्रचंड के स्वागत के लिए रेड कार्पेट बिछाई। इसके अलावा एयरपोर्ट पर उनके लिए कई कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।
मामले में नेपाली विदेश मंत्रालय ने कहा कि पीएम प्रचंड का आधिकारिक दौरा आज से शुरू हो गया है। वो 30 सितंबर तक वहां पर रहेंगे। उनके साथ नेपाल सरकार के विदेश मंत्री साउद, जल आपूर्ति मंत्री महिंद्र रया यादव, भौतिक अवसंरचना एवं परिवहन मंत्री प्रकाश ज्वाला और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शंकर दास बैरागी समेत कई मंत्री और अधिकारी भी गए हैं।
वहीं एशियन गेम्स भी हांगझोऊ में हो रहे हैं। उसके उद्घाटन कार्यक्रम में पीएम प्रचंड शामिल होंगे। इसके बाद वो चीनी राष्ट्रपति शी चिनपिंग से मुलाकात करेंगे।
चीन और नेपाल का कहना है कि दोनों देशों में बहुत पुराने संबंध हैं। इस दौरे के जरिए वो अपने द्विपक्षीय रिश्ते को मजबूत करने की कोशिश करेंगे। हालांकि विशेषज्ञों की राय इस मामले में अलग है। उनका मानना है कि चीन नेपाल को कोई बड़ी डील दे सकता है, ताकि भारत और अमेरिका जैसे दुश्मन देशों के खिलाफ वो उसे अपने पक्ष में कर सके। भारत भी इस दौरे पर करीब से नजर बनाए हुए है।
अमेरिका फेल कर रहा ड्रैगन की चाल
वहीं प्रचंड के चीन जाने से पहले अमेरिका ने एक बड़ा ऐलान कर दिया था। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि वो नेपाल को 20 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद देंगे। इसका मकसद नेपाल की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना, रोगजार के मौके बढ़ाना आदि है।