पुरानी पेंशन के लिये शिक्षकों ने निकाली एनपीएस की शव यात्रा, किया दाह संस्कारएनपीएस के शव को लेकर चल रही थी महिलायेंमांगे न मानी गई तो होगा राष्ट्रव्यापी महाहड़ताल- उदयशंकर शुक्ल



बस्ती। शनिवार को उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष उदयशंकर शुक्ल  के नेतृत्व में  पुरानी पेंशन बहाली के एक सूत्रीय मांग को लेकर पेंशन बहाली संयुक्त मंच  ‘एन.जे.सी.ए.’ राष्ट्रीय नेतृत्व के आवाहन पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर धरना प्रदर्शन के बाद पदयात्रा करते हुये शास्त्री चौक पर उप जिलाधिकारी  गुलाबचंद को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, उ.प्र. के राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन सौंपा गया। शास्त्री चौक पर शिक्षकों ने एनपीएस की शव यात्रा निकालकर विरोध प्रदर्शन करते हुये शवदाह किया। महिला शिक्षक शव यात्रा को कंधे पर लेकर आगे-आगे चल रही थी। जिला संयुक्त मंत्री  विजय प्रकाश चौधरी ने चिता को विधि विधान से मंत्रों के बीच आग लगाई।  इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि पुरानी पेंशन शिक्षकांे, कर्मचारियों का अधिकार है। सरकार हठवादिता छोड़ इसे व्यापक हित में तत्काल प्रभाव से लागू करे।


बीएसए कार्यालय पर आयोजित धरने को सम्बोधित करते हुये  संघ जिलाध्यक्ष उदयशंकर शुक्ल ने कहा कि पेंशन बुढापे की लाठी है। एनपीएस प्रणाली शिक्षकों, कर्मचारियोें के साथ विश्वासघात है। वक्ताओं ने कहा कि वर्ष 2005 में लागू की गई एन.पी.एस. व्यवस्था की दुर्दशा बयान नहीं किया जा सकता। 19 वर्ष के बाद भी समय से न तो खाते खुले और न ही कटौतियां सुव्यवस्थित ढंग से हुई। दोष पूर्ण  व्यवस्था के कारण अधिकारी, कर्मचारी, शिक्षक आर्थिक, मानसिक उत्पीड़न झेल रहे हैं, आकस्मिक, दैवीय घटना होने पर परिवार का भविष्य सुरक्षित नहीं रह गया है। एनपीएस की सबसे बड़ी आपत्ति अधिकारी, कर्मचारी, शिक्षक के हजारों करोड़ की धनराशि शेयर मार्केट, म्यूचुअल फण्ड एवं अन्य वित्तीय संस्थाओं के बाण्ड में निवेश किया जा रहा है। उसके आय व परिणामों के आधार पर पेेंन्शन निर्धारित होगी। हर्षद मेहता सहित शेयर बाजार आदि में हुये अनेकों घोटालोें को देश जानता है। सरकार द्वारा एनपीएस में पेंशन भुगतान की गारण्टी भी नहीं दिया गया है।

सर्वोच्च न्यायालय के पूर्ण पीठ ने अपने निर्णय में कहा है कि कर्मचारियों की पेंशन भीख नहीं है, बल्कि उनका अधिकार है। पुरानी पेंशन की बहाली कोई नई मांग नहीं है। सेवानिवृत्त के पश्चात जीवन यापन हेतु हमसे और हमारे परिवार से छीनी गई   सुविधा को वापस दिलाया जाय। उन्होने आवाहन किया कि अपने अधिकारों के लिये सजग हो वरना सरकार एक-एक कर  अधिकार छीन लेगी। कहा कि  पेंशन प्राप्त करना कर्मचारियों का विधिक अधिकार है। बताया कि देश के कर्मचारी, शिक्षक परिवार, रिश्तेदार, हितैषियों सहित पोस्टकार्ड पर ओ.पी.एस. बहाल करो लिखकर प्रधानमंत्री को भेजेंगे। 20, 21, 22, 23 नवम्बर को सभी शिक्षक कर्मचारियोें से पुरानी पेंशन के लिये संयुक्त मंच द्वारा घोषित होने वाले महा हड़ताल में प्रतिभाग करने हेतु वोटिंग कराया जायेगा।


वक्ताओं ने कहा कि देश में ही हिमांचल प्रदेश सहित अनेक राज्यों में पुरानी पेंशन योजना बहाल कर दी गई है। इसे देखते हुये केन्द्र की सरकार व्यापक हितोें को देखते हुये समूचे देश के शिक्षकों, कर्मचारियों के लिये इसे लागू करें अन्यथा चरणबद्ध ढंग से आर-पार का संघर्ष जारी रहेगा। शिक्षकों ने कहा कि शिक्षक और कर्मचारियों के लिये पुरानी पेंशन बुढापे की लाठी है। कई राज्य सरकारोें ने इसे लागू भी कर दिया है किन्तु केन्द्र की सरकार इस दिशा में गंभीर नही है।  कहा कि जब तक पुरानी पेंशन बहाल नहीं हो जाती चरणबद्ध ढंग से आन्दोलन जारी रहेगा। पेंशन शिक्षकों, कर्मचारियोें का अधिकार है, इसे लेकर रहेंगे। कहा कि पुरानी पेंशन लागू करना ही होगा। इसके लिये शिक्षक और कर्मचारी हर स्तर के संघर्ष के लिये तैयार रहेें। यदि अभी न चेते तो बुढापे में चौतरफा संकट झेलना होगा। धरना, प्रदर्शन और पद यात्रा में हजारों की संख्या में शिक्षक शामिल रहे।

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