मिलिए ‘रिवॉल्‍वर रानी’ से, पिता की जगह मिली थी नौकरी, ड्रीम गर्ल बनने की चाहत में छोड़ दी, पुलिस की नौकरी

रिपोर्टर रतन गुप्ता

आर्थिक तंगी का हवाला देकर दोबारा मांगी थी नौकरी.
सिर्फ 48 घंटे में फिर हाथ से गई नौकरी.

पापा की जगह पर पुलिस में नौकरी मिली थी. लेडी कॉन्स्टेबल में जोश व जुनून की कमी न थी. नई-नई नौकरी का जोश था ही, सो इंस्टा पर रील बनाने लगी. हाथ में रिवॉल्वर लेकर उनका एक रील तो सोशल मीडिया पर धूम मचाने वाला था. वायरल भी हो गया, तो यूपी पुलिस की यह लेडी कॉन्स्टेबल सबकी नजरों पर चढ़ गई. विभाग के आला अफसरों ने जब इस ‘रिवॉल्वर रानी’ का रील देखा, तो आला अफसरों की भृकुटि टेढ़ी हो गई. फिर क्या था, ‘रिवॉल्वर रानी’ के ऊपर विभाग ने कार्रवाई की. यह उन्हें नहीं भाया. उन्होंने कॉन्स्टेबल के पद से इस्तीफा दे दिया. कुछ दिन बाहर रहीं, फिर दोबारा नौकरी करने की योजना बनाई. लेकिन विभाग के नियम-कायदे कुछ ऐसे थे कि उनकी नौकरी 48 घंटे में ही फिर चली गई.

आपको बता दें कि यूपी के कानपुर की रहने वाली इस ‘रिवॉल्वर रानी’ का असली नाम प्रियंका मिश्रा है. साल 2021 में प्रियंका आगरा में कॉन्स्टेबल के पद पर तैनात थीं. उसी दौरान उनका एक रील सोशल मीडिया साइट इंस्टाग्राम पर वायरल हुआ था. इसमें उन्होंने रिवॉल्वर के साथ वीडियो बनाई थी. उनकी वीडियो पर पुलिस विभाग ने कार्रवाई की थी. इससे नाराज प्रियंका ने इस्तीफा दे दिया था. प्रियंका मिश्रा को अपने पिताजी की जगह पर अनुकंपा नियुक्ति के तहत नौकरी मिली थी. वे आगरा में लेडी कांस्टेबल के पद पर तैनात थीं. इस दौरान उनका रिवॉल्वर हाथ में लेकर रील इंस्टाग्राम पर वायरल हो गया था. इसके बाद उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने सोचा कि फिल्मी दुनिया में हाथ आजमाएंगी. इसके बाद साल 2021 में उन्हें एक वेबसीरीज मिलने की बात सामने आई थी, लेकिन उनका फिल्मी दुनिया का सपना अधूरा ही रह गया.

दोबारा नौकरी के लिए दिया था आवेदन
प्रियंका मिश्रा को जब अपनी गलती का एहसास हुआ तो उन्होंने फिर से नौकरी पाने के लिए पुलिस आयुक्त डॉ. प्रीतिंदर सिंह को आवेदन दिया था. इसमें उन्होंने आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने का हवाला दिया था. इसके बाद सहायक पुलिस आयुक्त कार्यालय को मामले की जांच सौंपी गई. पुलिस आयुक्त डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने बताया कि प्रियंका के प्रकरण में संयुक्त निदेशक, अभियोजन से विधिक राय ली गई. उन्होंने नियुक्ति प्राधिकारी की ओर से निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए स्वविवेक के अनुसार निर्णय लिए जाने के लिए राय दी.

48 घंटे के भीतर ही गई नौकरी
महिला सिपाही को नौकरी तो मिली, लेकिन यह सिर्फ दो दिन में ही चली गई. दरअसल प्रियंका के मामले में इस्तीफा देने के बाद सेवा में लेने से जुड़े नियमों और आदेशों के लिए समस्त पत्रावली पुलिस विभाग को भेजी जानी थी. इसके बाद ही आदेश पारित कराया जाना चाहिए था. लेकिन, लिपिक ने ऐसा नहीं किया. तथ्यों को संज्ञान में लाए बिना ही महिला सिपाही को पुन: सेवा के लिए 18 अक्टूबर को आदेश पारित करा लिया. यह नियम के खिलाफ किया. मामले में लिपिक को निलंबित किया गया है. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को जांच दी गई है. महिला आरक्षी को पुन: सेवा लेने का आदेश भी निरस्त कर दिया गया.

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