नेपाल के जाजरकोट था केन्द्र उत्तर भारत में भूकंप के झटके, रिक्टर स्केल पर 6.4 की तीव्रता, नेपाल में मकानों में दरार

रिपोर्टर रतन गुप्ता
दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत में भूकंप के झटके, रिक्टर स्केल पर 6.4 की तीव्रता, नेपाल में था केंद्र
रात 11 बजकर 32 मिनट पर अचानक पूरा उत्तर भारत भूकंप के झटकों से थर्रा उठा। भूकंप का केंद्र नेपाल में था। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.4 आंकी गई है। फिलहाल जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है।

भारत नेपाल सीमावर्ती नौतनवा ,ठुठीबारी ,सोनौली ,निचलौल सिसवा ,क्षेत्रो में तेज छटके महशूस किये गये लोग घरों से बाहर निकल गये ।

नेपाल सहित दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। रात करीब 11.32 मिनट पर उत्तर प्रदेश, बिहार समेत उत्तर भारत के कई इलाके में भूकंप के झटके महसूस किए गए। जानकारी के मुताबिक भूकंप का केंद्र नेपाल में था। भूकंप का केंद्र जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.4 आंकी गई है। लखनऊ, पटना में लोग भूकंप के झटके के बाद घरों से बाहर निकल आए। यूपी के महाराजगंज में भूकंप के झटके महसूस किए गए। वहीं प्रयागराज में भी भूकंप से धरती कांप उठी। उधर, गोरखपुर और मिर्जापुर में भी भूकंप से कंपन होने की खबर है।

जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं
भूकंप के चलते फिलहाल जानमाल के किसी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं है। भूकंप के झटकों से लोग दहशत में आ गए और अपने-अपने घरों से बाहर निकल पड़े। उत्तर बिहार के कई शहरों में लोगों को भूकंप के झटके महसूस हुए। रक्सौल, मोतिहारी, बेतिया में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं।

क्यों आता है भूकंप
दरअसल, हमारी धरती मुख्य रूप से चार परतों से बनी हुई है, जिन्‍हें इनर कोर, आउटर कोर, मैन्‍टल और क्रस्ट कहा जाता है। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहा जता है। ये 50 किलोमीटर की मोटी परतें होती हैं, जिन्हें टैक्‍टोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैक्‍टोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं, घूमती रहती हैं, खिसकती रहती हैं। ये प्‍लेट्स अमूमन हर साल करीब 4-5 मिमी तक अपने स्थान से खिसक जाती हैं। ये क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर , दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इस क्रम में कभी कोई प्लेट दूसरी प्लेट के निकट जाती है तो कोई दूर हो जाती है। इस दौरान कभी-कभी ये प्लेट्स एक-दूसरे से टकरा जाती हैं। ऐसे में ही भूकंप आता है और धरती हिल जाती है। ये प्लेटें सतह से करीब 30-50 किमी तक नीचे हैं।

कैसे करें बचाव?
अगर अचानक भूकंप आ जाए तो घर से बाहर खुले में निकल जाएं। यदि आप घर में फंस गए हों तो बेड या मजबूत टेबल के नीचे छिप जाएं। घर के कोनों में खड़े होकर भी खुद को बचा सकते हैं। भूकंप आने पर लिफ्ट का प्रयोग बिल्कुल न करें। खुले स्थान में जाएं, पेड़ व बिजली की लाइनों से दूर रहें। इसके अलावे भूकंप रोधी मकान भी उतने ही जरूरी होते हैं। यह हालांकि बहुत महंगा नहीं होता, पर इसे लेकर लोगों में जागरूकता की कमी के कारण अक्‍सर लोग इसकी अनदेखी कर बैठते हैं।

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